लखनऊ - उत्तर प्रदेश के वन एवं जन्तु उद्यान मन्त्री श्री फतेह बहादुर सिंह ने बताया है कि आज उत्तर प्रदेश राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में पलास को राज्य पुष्प घोषित करने पर वन्य जीव बोर्ड के सदस्यों में आम सहमति बनी। उन्होंने बताया कि पूर्व में राज्य पुष्प के रूप में ब्रम्ह कमल घोषित था किन्तु उत्तराखण्ड राज्य के गठन के पश्चात यह पुष्प उत्तराखण्ड में चला गया, जिसके कारण अभी तक राज्य पुष्प घोषित नहीं हो सका था।
वन मन्त्री ने बताया कि बोर्ड ने बाघ संरक्षण के लिये पूर्व में निर्धारित सजा को और अधिक बढ़ाने के प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की है। पूर्व में बाघ को मारने या शिकार करने वालों को 7 वर्ष की सजा की व्यवस्था थी, जिसे बढ़ाकर 10 वर्ष करने पर बोर्ड में सहमति बनी। उन्होंने बताया कि बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत वन अपराधों पर नियन्त्रण के सम्बंध में एजेण्डे पर बोर्ड के सदस्यों ने कहा कि वन अपराधों को सुनने के लिये विशेष अदालतों का प्राविधान किया जायें।
श्री फतेह बहादुर सिंह ने बताया कि प्रदेश में ´नील गायों´ की बढ़ती संख्या के कारण किसानों की अधिकांश फसलें इनके द्वारा खा ली जा रही है, जिसके कारण किसानों में बहुत असन्तोष है। उन्होंने बताया कि अब नील गाय को वनराज नाम से जाना जायेगा और इन्हें वन्य जीव शेड्यूल-3 से शेड्यूल-5 में परिवर्तित करने के एजेण्डा बिन्दु पर भी बोर्ड के सदस्यों में सहमति बनी। उन्होंने कहा कि अब इनके मारने पर किसी प्रकार का कोई अवरोध नहीं रहेगा।
श्री सिंह ने बताया कि इसके साथ-साथ कई लिम्बत प्रकरण जैसे सड़क/विद्युत/अम्बेडकर ग्राम, गंगा नदी के तटबंध आदि समस्याओं के सम्बंध में वन्य जीव बोर्ड की संस्तुतियॉ भारत सरकार को प्रेषित की जायेंगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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