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सरकार व पार्टी किसानों की जमीन को जबरिया अधिग्रहण किए जाने के सख्त खिलाफ

Posted on 03 September 2010 by admin

मुख्यमन्त्री ने भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन के अतिरिक्त विभिन्न सुविधाएं देने का निर्णय लिया

प्रभावित कृषकों को 33 साल के लिए 20 हजार रूपये प्रति एकड़ की दर से वार्षिकी प्रतिवर्ष 600 रूपये की बढ़ोत्तरी के साथ दी जायेगी, जो भूमि के प्रतिकर के अतिरिक्त होगी

वार्षिकी न लेने पर प्रभावित किसान को एकमुश्त 02 लाख 40 हजार प्रति एकड़ की दर से पुनर्वास अनुदान

भूमि अधिग्रहण करने की स्थिति में 25 प्रतिशत के समतुल्य कम्पनी द्वारा अधिग्रहित जमीन के शेयर प्राप्त करने का विकल्प किसानों को उपलब्ध होगा

प्रभावित मूल काश्तकारों को अधिग्रहीत भूमि की 07 प्रतिशत भूमि आवासीय प्रयोजन के लिए आवंटित होगी,
आवंटित भू-खण्ड का क्षेत्रफल न्यूनतम 120 वर्गमीटर व अधिकतम सम्बन्धित प्राधिकरण द्वारा निर्धारित सीमा तक दिया जायेगा

प्रभावित किसानों को भू-खण्डों के आवंटन में 17.5 प्रतिशत आरक्षण

भूमि अधिग्रहण को लेकर बनाई गई उत्तर प्रदेश की नई नीति पूरे देश की सबसे प्रगतिशील नीति

अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को हरियाणा से बेहतर सुविधाएं

लखनऊ -  उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने देश के किसानों की हर मामले में बदहाली व नक्सलवाद की समस्या के लिए केन्द्र में अभी तक जो भी सरकारें बनी हैं उनको पूरी तरह जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि भूमि अध्याप्ति कानून में व्याप्त खामियों के चलते ही आज देश के किसानों को आए दिन सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार व पार्टी किसानों की जमीन को जबरिया अधिग्रहण किए जाने के सख्त खिलाफ हैं।

मन्त्रिमण्डलीय सचिव श्री शशांक शेखर सिंह आज लाल बहादुर शास्त्री भवन स्थित मीडिया सेन्टर में मा0 मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी द्वारा लिए गए निर्णयों  की पत्रकारों को जानकारी दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मा0 मुख्यमन्त्री जी ने भूमि अधिग्रहण, किसानों के पुनर्वास से जुड़े सभी मुद्दों पर गम्भीरता से विचार करते हुए भविष्य में किसानों के पुनर्वास के लिए एक नई व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत आगे भूमि अधिग्रहण किए जाने की स्थिति में प्रभावित किसानों को विभिन्न सुविधाएं दिए जाने का निर्णय लिया है।

मुख्यमन्त्री जी ने निर्णय लिया है कि नई नीति के तहत प्रत्येक किसान जिसकी भूमि अधिग्रहीत की जा रही है, को 33 साल के लिए 20 हजार रूपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से वार्षिकी (।ददनपजल) दी जायेगी, जो भूमि के प्रतिकर के अतिरिक्त होगी। 20 हजार रूपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की वार्षिकी पर प्रति एकड़ प्रति वर्ष 600 रूपये की निश्चित दर से वृद्धि की जायेगी, जो प्रत्येक वर्ष जुलाई माह में देय होगी। उन्होंने कहा कि यदि कोई किसान वार्षिकी नहीं लेना चाहता है तो उसे एकमुश्त 02 लाख 40 हजार प्रति एकड़ की दर से पुनर्वास अनुदान दिया जायेगा। किसी कम्पनी के लिए भूमि अधिग्रहण करने की स्थिति में 25 प्रतिशत के समतुल्य कम्पनी द्वारा अधिग्रहित जमीन के शेयर प्राप्त करने का विकल्प किसानों को उपलब्ध होगा।

मुख्यमन्त्री जी ने यह भी निर्णय लिया है कि जिन परियोजनाओं में लैण्ड फॉर डेवलपमेन्ट के लिए भूमि अधिग्रहीत की जा रही है, उनमें प्रभावित मूल काश्तकारों को अधिग्रहीत भूमि की 07 प्रतिशत भूमि आवासीय प्रयोजन के लिए आवंटित की जायेगी। इस आवंटित भू-खण्ड का क्षेत्रफल न्यूनतम 120 वर्गमीटर तथा अधिकतम सम्बन्धित प्राधिकरण द्वारा निर्धारित सीमा दिया जायेगा। प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत भूमि पर आवासीय योजना क्रियािन्वत किए जाने की स्थिति में अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को भू-खण्डों के आवंटन में 17.5 प्रतिशत आरक्षण भी प्रदान किया जायेगा।

मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि इस सम्बन्ध में हरियाणा की मिसाल देकर कांग्रेस पार्टी तारीफ करते थकती नहीं है, लेकिन सच तो यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपने प्रदेश के किसानों को हरियाणा से बेहतर सुविधाएं देने की व्यवस्था की गई है। जबकि हरियाणा में प्रत्येक प्रभावित किसान को भूमि प्रतिकर के अतिरिक्त 15 हजार प्रति एकड़ प्रतिवर्ष वार्षिकी 33 वर्षो तक दिया जायेगा, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह दर 20 हजार रूपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष है, जो 33 वर्षो तक दी जायेगी। हरियाणा में इस  वार्षिकी पर 500 रूपये प्रतिवर्ष की वृद्धि की व्यवस्था है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह वृद्धि 600 रूपये प्रतिवर्ष की गई है। हरियाणा में  वार्षिकी के सापेक्ष एकमुश्त भुगतान का कोई प्राविधान नहीं है, जबकि उत्तर प्रदेश में  वार्षिकी न लेने पर 02 लाख 40 हजार प्रति एकड़ एक मुश्त भुगतान का प्राविधान किया गया है।

मुख्यमन्त्री ने कहा है कि हरियाणा में कम्पनी के लिए अधिग्रहण के मामले में कम्पनी के शेयर देने का कोई प्राविधान नहीं है, जबकि उत्तर प्रदेश में एकमुश्त धनराशि का 25 प्रतिशत, को शेयर के रूप में लेने का विकल्प होगा। इसके अलावा लैण्ड फॉर डेवलपमेन्ट योजना में काश्तकारों को अधिग्रहित भूमि का 07 प्रतिशत आवासीय परियोजना हेतु देने का प्राविधान किया गया है। हरियाणा में इस तरह की व्यवस्था प्रकाश में नहीं आयी है। इस प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखते हुए भूमि अधिग्रहण की  जो नई नीति लागू की गई है, वह पूरे देश की सबसे प्रगतिशील नीति है।

मुख्यमन्त्री जी ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण से भूमिहीन हो रहे किसानों के प्रत्येक परिवार को पांच साल तक कृषि मजदूरी के समतुल्य 01 लाख 85 हजार रूपये से एकमुश्त मजदूरी दिए जाने के आदेश 17 अगस्त, 2010 को दिए जा चुके हैं। राज्य सरकार का यह स्पष्ट निर्णय है कि यदि अलीगढ़ जनपद (टप्पल) के किसान टाउनशिप नहीं चाहते हैं तो, टाउनशिप नहीं बनेगी। उन्होंने कहा है कि जहां तक अलीगढ़ और आगरा के किसानों की जमीन सम्बन्धी समस्या का प्रश्न है, राज्य सरकार ने इन किसानों की समस्याओं का समाधान कर दिया है। इन किसानों को समुचित मुआवजा दे दिया गया है और वह मान भी गये थे, लेकिन अब तो सरकार विरोधी तत्वों द्वारा ही इसकी आड़ में कानून-व्यवस्था को खराब करने का प्रयास किया गया। अभी भी भोले-भाले किसानों को गुमराह करके कानून-व्यवस्था को खराब करने की कोशिश में हैं।

मुख्यमन्त्री जी का सदैव से यह कहना रहा है कि देश में किसानों की हर मामले में बदहाली के लिए और इसके साथ ही देश के उद्योगपतियों को आंख मून्द कर फायदा पहुंचाने व उनके लिए वनभूमियों का अंधा-धुन्ध दोहन के कारण फैले ´´नक्सलवाद´´ के लिए भी केन्द्र की सभी सरकारें जिम्मेदार हैं। इसके अलावा मा0 मुख्यमन्त्री जी ने भूमि अध्याप्ति अधिनियम में संशोधन किए जाने की किसानों की मांग का पूरा समर्थन किया था। साथ ही उन्होंने देश के किसानों का इसी अधिनियम में संशोधन की मांग को लेकर संसद को घेरने के कार्यक्रम का भी समर्थन किया था।

मुख्यमन्त्री ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1894 में संशोधन की मांग लम्बे समय से की जा रही है, परन्तु किसान विरोधी एवं उद्योगपतियों के हित साधक केन्द्र सरकारों ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया और इस मामले पर लगभग छ: दशकों से चुप्पी मारे बैठी रहीं। वह हमेशा से इस बात की पक्षधर रहीं हैं कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में आए दिन कानून के बल पर लम्बे समय से भूमि अध्याप्ति अधिनियम के माध्यम से किसानों की जमीन हथियाने की प्रवृत्ति के कारण आज देश के किसानों को आए दिन सड़क पर उतरना पड़ रहा है।

मुख्यमन्त्री ने कहा है कि उनकी सरकार ने हमेशा किसानों के हितों का संरक्षण किया है और किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए हर सम्भव कदम उठाये हैं। उनका किसानों के मामले में स्पष्ट मत है कि किसानों की खुशहाली के बगैर देश की प्रगति सम्भव नहीं है। भूमि अधिग्रहण से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के समाधान तथा प्रभावित किसानों के पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन के अलावा आज नई नीति के तहत मुख्यमन्त्री जी द्वारा घोषित की गई अतिरिक्त सुविधाओं के फलस्वरूप निश्चित रूप से प्रदेश के किसानों को फायदा पहुंचेगा।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास एवं पुनस्र्थापना हेतु आज जो ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं, उनकी मिसाल सम्भवत: अन्य किसी प्रदेश में नहीं है। इस अवसर पर प्रमुख सचिव सूचना श्री विजय शंकर पाण्डेय भी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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