झांसी- पटरी पर यदि खतरा है या आगे कोई गाड़ी खड़ी हुई है और सिग्नल लाल है और चालक लापरवाह तो भी डरने की जरूरत नहीं। ट्रेन दुर्घटना ग्रस्त हो ही नहीं सकती क्योंकि वह खतरे से कई मीटर दूरी पर अपने आप रुक जाएगी।
दुर्घटना रहित सुरक्षित यात्रा को सम्भव बनाया है टीपीडब्लूएस अर्थात ट्रेन प्रोटेक्शन एण्ड वार्निग सिस्टम ने। इस प्रणाली को प्रयोग के तौर पर अभी ताज एक्सप्रेस व महाकौशल एक्सप्रेस के इजनों में लगाया गया है। दोनों ट्रेनों में इसका परीक्षण आगरा-मथुरा स्टेशनों के बीच किया जा रहा है। इस प्रणाली का एक सप्ताह का प्रशिक्षण झाँसी में प्रणाली बनाने वाली कम्पनी के इजीनियरों ने शताब्दी, मेल ट्रेन चालकों, लोको इस्पेक्टरों व संरक्षा से जुड़े लोगों को दिया।
बताया गया है कि जिस इजन में यह प्रणाली लगी होगी उसके रूट की रेल लाइन व सिग्नल की रिले को इस सिस्टम से जोड़ा गया है। यदि ट्रेन का चालक लाल सिग्नल के बावजूद गाड़ी को नहीं रोकता है तो इजन में लगा सिस्टम 600 मीटर दूर से ही चेतावनी देना शुरू कर देगा। चालक के फिर भी सतर्क नहीं होने की स्थिति में खतरे से 30 मीटर की दूरी पर ही इमर्जेन्सी ब्रेकिंग प्रणाली से रफ्तार पर ब्रेक लगा कर ट्रेन को रोक देगा। इसके बाद तभी गाड़ी आगे बढ़ सकेगी जब चालक इजन में लगे सिस्टम को पुन: चालू करेगा।
यही स्थिति कॉशन आर्डर अर्थात निश्चित स्थान पर ट्रेन के इजन की निर्धारित से कम गति पर संचालन के समय पर रहेगी। यदि चालक कॉशन आर्डर का पालन नहीं कर लापरवाही से ट्रेन की अपनी गति से निकालने की कोशिश करेगा तो वार्निग के बाद उसकी रफ्तार स्वत: नियन्त्रित हो जाएगी। इतना ही नहीं इजन के आगे के खतरे की जानकारी उपकरण के साथ लगी स्क्रीन पर भी स्पष्ट होगी।
यह उपकरण पाँच-पाँच मिनट में विशेष संकेत देकर चालक को सतर्क करता रहेगा। चालक द्वारा संकेत का जवाब नहीं देने की प्रतिक्रिया स्वरूप उपकरण इजन को रोक देगा। इतना ही नहीं चालक अपनी लापरवाही को छिपा नहीं पाएगा। उपकरण चालक की लापरवाही व गल्तियों को उजागर कर देगा। फिलहाल इस उपकरण के झाँसी तक काम करने की बेसब्री से प्रतीक्षा है।
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Vikas Sharma
Editor
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