शिया समुदाय के पहले इमाम हजरत अली अलै0 की शहादत पर जनपद में जगह जगह जूलूस व मजलिसों का सिलसिला चलता रहा जिसमें मौलाना ने मजलिसो को खिताब फरमा कर उनकी शहादत पर आंखे नम की।
इस्लाम धर्म के गुरू हजरत मो0 साहब के दामाद हजरत अली को 19 रमजान को इब्ने मुिल्जम ने सुबह की नमाज पढ़ते समय जहर से बुझी तलवार से उनकी गर्दन पर मारा जिससे उनको 21वीं रमजान को शहादत मिली। शिया समुदाय तीन दिनो तक काले कपड़े पहनकर गम मनाते हैं और अपने अपने घरो में मजलिसो को कर उनकी शहादत को याद करते है।
शहादत के मौके पर जनपद में जगह जगह जूलूस व मजलिसो का आयोजन किया गया जिसमें उनके गम को याद किया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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