उत्तर प्रदेश के वन एवं जन्तु उद्यान मन्त्री श्री फतेह बहादुर सिंह ने कहा है कि ग्राम वनों का प्रबन्धन गांव वनों पर निर्भर व्यक्तियों एवं वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इससे ग्राम वनों के उत्तम प्रबंध के साथ-साथ वहां से उत्पादित वन उपज के मूल्य का एक अंश ग्रामों को भी मिल सकेगा। इन क्षेत्रों में रोपित किये जाने वाले पेड़ पौधों की प्रजातियों का निर्धारण संयुक्त वन प्रबंध समिति द्वारा किया जायेगा। वृक्षारोपण क्षेत्र का अनुरक्षण तथा संरक्षण इन समितियों के माध्यम से किया जायेगा, ताकि प्रतिभागियों को अतिरिक्त आय के स्रोत मिले सकें।
श्री सिंह ने बताया है कि जन सहभागिता के सिद्धान्त पर आधारित इस परियोजना के अधिकांश लक्ष्यों को संयुक्त वन प्रबंध प्रणाली से किया जाना प्रस्तावित है । भारतीय वन अधिनियम 1927 के प्राविधानों के अन्तर्गत प्रदेश सरकार द्वारा ग्राम वन संयुक्त वन प्रबन्ध नियमावली 2002 लागू की गई थी, किन्तु कतिपय कारणों से वनों के प्रबन्धन में इसका क्रियान्वयन न हो सका। वनों के प्रबन्धन में जन-सहभागिता को सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से इस नियमावली के क्रियान्वयन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए वर्ष 2008 में दिशा निर्देश निर्गत किये गये।
वन मन्त्री ने बताया कि जापान इन्टरनेशनल को-आपरेशन एंजेसी की सहायता से उत्तर प्रदेश सहभागी वन प्रबन्ध एवं निर्धनता का उन्मूलन परियोजना प्रदेश के 20 वन प्रभागों में चल रही है। इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामवासियों की सहायता से वन प्रबन्ध न करना एवं वनों पर निर्भर ग्रामवासियों के आर्थिक स्तर में सुधार लाना है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की बहुमूल्य वन सम्पदा के संरक्षण सम्वर्धन व विकास के लिए प्रदेश की जनशक्ति की साझेदारी सुनिश्चित कराने के लिए उत्तर प्रदेश सहभागी वन प्रबन्ध एवं निधनता उन्मूलन परियोजना क्षेत्रों में संयुक्त वन प्रबन्ध समितियों की स्थापना कर ग्राम वनों की स्थापना का कार्य प्रारम्भ किया गया है।
वन मन्त्री ने बताया कि प्रदेश के इतिहास में ऐसे अनूठे प्रयास का यह प्रथम कदम है। इस परियोजना के माध्यम से प्रदेश में प्रथम बार विगत एक माह में रेनूकूट, इलाहाबाद, खीरी, ओबरा, चित्रकूट झांसी, मिर्जापुर एवं महोबा वन प्रभागों में 90 ग्राम वन घोषित हो चुके हैं। इन ग्राम वनों का क्षेत्रफल लगभग 14 हजार हेक्टेअर है। आगामी माह में 170 और ग्राम वन घोषित कराने की योजना है। परियोजना के अन्तर्गत ऐसी 300 समितियों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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