लखनऊ - आज उत्तर प्रदेश न्यायिक प्रशिक्षण संस्थान में “राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा´´ महिला आधिकारों एवं उनसे सम्बंधित न्याय “विषय पर दो दिवसीय सिम्पोजियम´´ का आयोजन किया गया।
उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति एफ0आई0 रिबेलों ने अपने संबोधन में कहा कि महिला अधिकारों एवं उनसे सम्बंधित न्याय के अनेक अधिनियम एवं धाराएं उपलब्ध है उससे सम्बंधित वादों को हमें समयबद्धता के साथ साक्ष्यों के आधार पर निस्तारण में तेजी लाना चाहिए। इसके लिए सिविल न्यायालयों को निर्धारित कार्य योजना बनाना चाहिए। तभी हम वास्तविक रूप से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा एवं उनको न्याय दिला सकेंगे। इसके आभव में अधिनियम एवं धाराएं प्रभावी नहीं हो सकती। हमें मानव अधिकार महिला अधिकार को एक पहलू के रूप में आगे बढ़ाना चाहिए। इस मामले में उन्होंने न्यायमूर्ति ए0 के0 सिकरी तथा न्यायमूर्ति अजीत भरिहोक के दिनांक 03.06.2010 के सुश्री वर्षा कपूर बनाम यूनियन आफ इण्डिया के व्यापक आधार वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय का उल्लेख किया। उक्त अवसर पर न्यायमूर्ति श्री प्रदीप कान्त न्यायमूर्ति श्री ए0के0बसु एवं न्यायमूर्ति श्री ए0 के0 श्रीवास्तव आदि ने विचार व्यक्त किया।
उक्त अवसर पर डा0 रंजना कुमारी ने सिम्पोजियम के विषय पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन सदस्य। सचिव न्यायधीश श्री सुभाष चन्द्र बत्रा ने किया तथा कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलित कर न्यायमूर्ति गणों द्वारा किया गया। उक्त अवसर पर न्यायिक अधिकारियों के अलावा उत्तर प्रदेश एवं अन्य राज्यों के महिला अधिकारों सम्बंधी स्वयं सेवी संगठनों ने भाग लिया।
कल दिनांक 29.8.2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सम्मानित न्यायधीशों द्वारा सम्बोधन होगा, जिसमें न्यायमूर्ति श्री प्रदीप कान्त आदि प्रमुख है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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