लखनऊ: - उत्तर प्रदेश के मत्स्य पालकों को मत्स्य बीज की आपूर्ति का कार्य मत्स्य विभाग द्वारा किया जा रहा है। मत्स्य पालकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने तालाबों में 200 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर की दर से चूने का छिड़काव कर एक टन प्रति हैक्टेयर की दर से गोबर की खाद तालाब में डालकर पानी भर दें। पानी भरने के 3-4 दिन बाद 10,000 मत्स्य बीज प्रति हैक्टेयर की दर से संचय करायें। जिन मत्स्य पालकों ने मत्स्य बीज का संचय कर लिया है, अपने तालाब में प्रतिदिन 3-4 घंटे ताजा पानी भरें तब मछलियों को पूरक आहार, अनुमानित शरीर भार का 2 प्रतिशत प्रतिदिन देना सुनिश्चित करें।
निदेशक मत्स्य श्री अशोक दीक्षित ने यह सलाह दी है। उन्होंने बताया कि प्रजनन योग्य मछलियों ( ब्रूडफिश ) में एब्जार्पशन स्टेट प्रारम्भ होने वाला है। अत: हैचरी स्वामी 22 से 25 अगस्त तक अवशेष बू्रडर का उत्प्रेरित प्रजनन करा लें अन्यथा एब्जार्पशन स्टेज शुरू हो जाने पर उनका प्रजनन कराना सम्भव न होगा। हैचरी पर उपलब्ध सभी खाली नर्सरियों में स्थान संचय कर लें ताकि सितम्बर में अच्छी वषाZ होने पर मत्स्य पालकों को सितम्बर एवं अक्टूबर माह में मत्स्य बीज उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने बताया कि हैचरी स्वामी नर्सरियों में जल स्तर 4-5 फीट बनाये रखें ताकि पानी में घुलित आक्सीजन की पर्याप्त मात्रा बनी रहें, ताकि मछलियां जीवित रहें।
श्री दीक्षित ने बताया कि तालाबों में पर्याप्त पानी न होने के कारण यादि मत्स्य बीज का विक्रय धीमी गति से हो रहा है तो हैचरी स्वामियों को सलाह है कि वे नर्सरियों में मत्स्य बीज के बेहतर सर्वाइवल के लिए कुछ मत्स्य बीज दूसरी नर्सरी में स्थानान्तरित कर जल स्तर 4-5 फीट तक बनाये रखें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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