लखनऊ -उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खेती की उपजाऊ जमीन के जबरन अधिग्रहण के खिलाफ उभरे किसानों के असन्तोश पर अपनी रोटियॉ सेंकने के लिए कई दल मैदान में कूद पड़े हैं। जबकि उनका किसान-गॉव और खेती से कभी कोई ताल्लुक नहीं रहा है। शहर की राजनीति करने वालों को अचानक गॉवों की याद आ गई है। लेकिन सबसे ज्यादा आश्चर्य तो बसपा के ताजा-ताजा किसान प्रेम को देखकर होता है। जिसकी मुख्यमन्त्री मायावती ने स्वतन्त्रता की पूर्व संध्या (14 अगस्त, 2010) पर अलीगढ़ के टप्पल क्षेत्र में किसानों पर गोलियां चलवा दी। तीन लोगों की मौत और दर्जनों लोगो के घायल होने से भी जब इस सरकार की रक्त पिपासा शान्त नहीं हुई तो 17 अगस्त, 2010 को आगरा की पुलिस चौकी कुमेरपुर के पास गॉव वालों की भीड़ पर गोलियॉ चलवा दीं, जिसमें दो गम्भीर रूप से घायल हो गए। इन किसानों का दोश बस इतना ही था कि वे यमुना एक्सपे्रस वे के लिए खेती की छीनी जा रही जमीन के मुआवजे में नोएडा के बराबर रकम मॉग रहे थे। प्रदेश सरकार उन्हें बेघर और बेरोजगार करने पर उतारू है क्योंकि उसने उनकी जमीन का मोटा सौदा एक बड़े बिल्डर से कर लिया है। इससे पहले 13 अगस्त, 2008 को नोएडा में मायावती सरकार ने किसानों पर गोलियॉ चलवाई थीं, जिसमें आधा दर्जन किसानों की मौत हुई थी।
मुख्यमन्त्री को शायद यह भ्रम हो गया है कि वे गोली चलवाकर मलहम लगाने का नाटक भी कर सकती हैं। खुद तो उन्होंने जमीन छीनने का काम किया है और किसानों को दिल्ली में लड़ाई लड़ने को भेजना चाहती हैं। कांग्रेस भी मायावती के पदचिन्हों पर चलते हुये किसानों की हमदर्द बन रही है। जबकि हकीकत यह है कि केन्द्र की कांग्रेस सरकार और प्रदेश की बसपा सरकार के बीच पिछले तीन सालों से मिली भगत का खेल चल रहा है। मुख्यमन्त्री ने सत्ता का दुरूपयोग किया, राजकोश लुटा दिया, संविधान के विरूद्ध आचरण किया और विकास के नाम पर सिर्फ लूट, कमीशन और वसूली का ही धंधा पनपाया है, किन्तु उसका कहीं कोई संज्ञान नहीं लिया गया। खुद मुख्यमन्त्री ने राजधानी लखनऊ में 3 हजार एकड जमीन पर कब्जा कर रखा है।
सच तो यह है कि समाजवादी पार्टी और इसके नेता श्री मुलायम सिंह यादव गॉव और गरीब की लड़ाई ईमानदारी से लड़ते रहे हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार में किसानों के जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ रोक लगा दी गई थी, इसे मायावती सरकार ने हटा दिया। अभी पिछले दिनों 16 अगस्त, 2010 को समाजवादी पार्टी ने किसानों के दमन के विरोध में प्रदेश व्यापी धरना दिया था। आगामी 26 अगस्त, 2010 को समाजवादी पार्टी गंगा-यमुना एक्सप्रेस वे जैसी योजनाएं रद्द किए जाने, किसानों पर लाठी-गोली चलाने वाले अफसरों के खिलाफ कार्यवाही कर जेल भेजने आदि मांगों को लेकर फिर विरोध प्रदर्शन करने जा रही है। अब तक अन्य पार्टियों ने सिर्फ कागजी बयानबाजी और दिखावटी सहानुभूति जताने के अलावा कुछ और नहीं किया है। समाजवादी पार्टी को विश्वास है कि प्रदेश का किसान मौकापरस्तों की पहचान में नहीं चूकेगा। किसानों की हत्यारी सरकार को एक पल भी सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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