लोगों से शरारती तत्वों के बहकावे में न आने की अपील राज्य सरकार के लिए किसानों का हित सर्वाेपरि
उत्तर को वार्ता की गई, जिसके अन्तर्गत 01 अप्रैल, 2010 से देय धनरािश में 14 रूपये प्रतिवर्ग मीटर की विशेश सहायता दिये जाने हेतु सहमति बनी थी। इसके परिणाम स्वरूप स्थानीय लोगों के प्रतिनिधि मण्डल द्वारा इस सम्बन्ध में किए जा रहे धरने को वापस लिये जाने की घोशणा भी कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एवं प्रतिनिधि मण्डल के बीच मुआवजे को लेकर बनी सहमति के बाद इस प्रकार की अशान्ति पैदा करने का प्रयास निन्दनीय है।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार का सदैव से यह प्रयास रहा है कि किसानों को उनकी भूमि का भरपूर मुआवजा मिले और इसीलिए भूमि अधिग्रहण की जो भी कार्यवाही की गई वह आपसी सहमति से करार नियमावली के तहत ही की गई है। प्रवक्ता ने कहा कि इस प्रकार की व्यवस्था किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में ही लागू की गई है और जहां कहीं भी किसानों की कोई उचित मांग आई, उसे बातचीत के जरिए सुलझा लिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के किसानों के प्रति इतने सकारात्मक रूख के बाद, कतिपय स्वार्थी तत्वों द्वारा किसानों को भड़काकर इस प्रकार की हिंसा पर उतारू करने की घटना नितान्त दुर्भाग्यपूर्ण है।
ज्ञातव्य है कि जनपद अलीगढ़ में यमुना एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए अधिग्रहीत भूमि के मुआवजे की दर वित्तीय वशZ 2009-10 में 412 रूपये प्रति वर्गमीटर एवं इसके अतिरिक्त 24 रूपये एक्स-ग्रेिशया के रूप में, अर्थात कुल 436 रूपये दिया जाना निर्धारित किया गया था। दिनांक 01 अप्रैल, 2010 से मुआवजे की दर 425 रूपये प्रतिवर्ग मीटर एवं एक्स-ग्रेिशया के रूप में 24 रूपये, अर्थात कुल मिलाकर 449 रूपये प्रतिवर्ग मीटर निर्धारित की गई थी।
यह भी उल्लेखनीय है कि भूमि अध्याप्ति अधिनियम की धारा-6/17 की अधिसूचना के पश्चात अलीगढ़ में अधिग्रहीत भूमि का कब्जा जुलाई, 2009 में भूमि अध्याप्ति अधिकारी द्वारा प्राप्त कर लिया गया था। इस सम्बन्ध में दायर याचिका में पारित स्थगनादेश को मा0 उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 02 जुलाई, 2010 को निरस्त कर रिक्त कर दिया गया। इसके पश्चात ही उपरोक्त भूमि पर अलीगढ़ के जिला प्रशासन द्वारा अिग्रम कार्यवाही प्रारम्भ की गई।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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