उत्तर प्रदेश के सिंचाई एवं कृशि मन्त्री श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि कृशि वैज्ञानिक ऐसे शोध करें जिससे किसानों की आय को दोगुना करने में मदद मिल सकें। उन्होंने कहा कि मिट्टी की जांच अभियान में तेजी लाई जाये जिससे किसान मिट्टी की जांच परिणाम प्राप्त होने पर उर्वरकों का समुचित इस्तेमाल कर सकें। उन्होंने कहा कि अधिकारी यह सुनििश्चत करें कि किसी भी जनपद में उर्वरकों की कमी न होने पाये। उन्होंने कहा कि उर्वरकों का कृत्रिम संकट पैदा करने वाले व नकली उर्वरक बेचने वालों पर कड़ी नज़र रखें।
श्री सिद्दीकी आज यहां लोक निर्माण विभाग के सभागार में विभागीय कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सामान्य वशाZ के मुकाबले 64.20 प्रतिशत वशाZ ही हो पाई है, ऐसी स्थिति में चित्रकूटधाम, वाराणसी, आजमगढ़ मण्डलों में अरहर, ज्वार बाजार तिल एवं तोरिया की बुवाई को प्राथमिकता दी जाये। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय अधिकारी किसानों को इन जिंसों के बीज उपलब्ध कराया जाना सुनििशचत करें।
कृशि मन्त्री ने कहा कि उर्वरकों की समुचित मात्रा में उपलब्धता सुनििश्चत कराने के लिए आगामी रबी 2010 के लिए आगरा, अलीगढ़, झांसी एवं चित्रकूट मण्डलों में प्राथमिकता के आधार पर लक्ष्यों के अनुरूप उर्वरक उपलब्ध कराये।। उन्होंने कहा कि रबी 2010 में आलू, दलहन व तिलहन की फसलों के लिए किसानों को उर्वरक की कोई समस्या न पैदा होने पाये। उन्होंने कहा कि अधिकारी इसके लिए अभी से रणनीति बना ले।
प्रमुख सचिव कृशि श्री कपिल देव ने बताया कि समान्य से कम वशाZ होने के बावजूद भी खरीफ 2010 में 92.76 लाख हेक्टेयर क्षे. का आच्छादन के लक्ष्य के सापेक्ष 86.04 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई का कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि विभाग के निर्धारित बजट के सापेक्ष 33 प्रतिशत व्यय किया जा चुका है।
समीक्षा बैठक में बीज निगम, यू0पी एग्रो के प्रबन्ध निदेशकों सहित कृशि विभाग के सभी क्षेत्रीय एवं शासन के अधिकारी मौजूद थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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