रसायनिक उर्वरकों की उपलब्धता हेतु प्रदेश शासन पूरी तरह भारत सरकार पर आश्रित है। फास्फेटिक उर्वरक डी.ए.पी. व एन.पी.के. की कमी से निपटने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा फास्फेटिक उर्वरकों की प्रीपोजिशनिंग की कार्य योजना बना ली गई है। पी.सी.एफ. को नोडल एजेन्सी नामित करते हुए वर्ष 2010-11 में रबी की फसलों हेतु 7.00 लाख मीट्रिक टन फास्फेटिक उर्वरकों की प्रीपोजिशनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
प्रदेश के कृषि मन्त्री श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने आज विधान सभा में डा0 अजय तोमर द्वारा पूछे गये अल्पसूचित तारांकित प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि वर्ष 2010-11 में रबी फसलों के लिए भारत सरकार ने प्रदेश को मांग के सापेक्ष जो उर्वरक अनुमोदित किया है, उसमें यूरिया की 26 लाख मी0टन मांग के सापेक्ष 25 लाख मी0टन, डी.ए.पी. की 6.50 लाख मी0टन के सापेक्ष 5.50 लाख मी0टन, एन.पी.के. की 4 लाख मी0टन के सापेक्ष 4 लाख मी0टन तथा एम.ओ.पी. की 1.50 लाख मी0टन के सापेक्ष 1.40 लाख मी0टन उर्वरक अनुमोदित किया है।
कृषि मन्त्री ने अनुपूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि ऐसी व्यवस्था की गई है कि केवल किसानों को ही खाद का वितरण हो। इसके लिए खाद विक्रेताओं कोये गये हैं कि किसानों को पहचान पत्र प्रस्तुत करने पर ही खाद का वितरण किया जाय तथा स्टाक रजिस्टर में पहचान पत्र का अंकन भी सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने बताया कि नेपाल सीमा से सटे क्षेत्रों में खाद की तस्करी रोकने के लिए 10 कि.मी. क्षेत्र में निजी क्षेत्र के माध्यम से खाद की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। वहां 10 कि0मी0 के दायरे में केवल पी.सी.एफ. के माध्यम से ही खाद बेचा जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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