10 वर्ष की स्थाई मान्यता एवं आरक्षण कोटा पूरा करने वाले 200 विद्यालय होंगे लाभािन्वत
उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास हेतु अनेक योजनाओं एंव कार्यक्रमों के संचालन के साथ-साथ शिक्षा विकास को उच्च प्राथमिकता देते हुए समाज के पिछड़े वर्गों, विशेषकर अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार हेतु कटिबद्ध है।
यह जानकारी प्रमुख सचिव समाज कल्याण श्री बलविन्दर कुमार ने दी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अभी भी कई ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं जहां अनुसूचित जाति के छात्र काफी संख्या में पढ़ाई करते है तथा ये विद्यालय अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों की शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है। प्रदेश सरकार ने ऐसे प्राथमिक विद्यालयों को एक मुश्त आर्थिक सहायता प्रति वर्ष प्रदान करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत जिन विद्यालयों में अनुसूचित जाति/जन जाति के 50 प्रतिशत या उससे अधिक छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और वहां पर यथा समय कम से कम 05 अध्यापक व 200 छात्र हो तथा विद्यालय की 10 वर्ष की स्थायी मान्यता हो, ऐसे 200 प्राथमिक विद्यालयों को एक मुश्त 6 लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी जायेगी, जिसमें 5 लाख रूपये का उपयोग अध्यापकों के वेतन हेतु तथा एक लाख रूपये विद्यालय भवन के रख-रखाव/मरम्मत तथा निर्माण मद में व्यय किया जा सकेगा।
श्री बलविन्दर कुमार ने बताया कि इस योजना के संचालन हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। कमेटी के सह संयोजक जिला समाज कल्याण अधिकारी को बनाया गया है। उन्होंने बताया कि सरकार के वित्तीय स्रोत सीमित होने तथा वर्ष 2006 में प्राथमिक विद्यालयों को आवर्तक अनुदान की सूची में लिये जाने की नीति समाप्त हो जाने के कारण ऐसे प्राथमिक विद्यालय जो अनु0 जाति/जनजाति के विद्यार्थियों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार कर रहे है ऐसे विद्यालयों की स्थिति सुधारने तथा उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान किये जाने का प्राविधान किया गया है। उन्होंने बताया कि यह आर्थिक सहायता अनुदान नियत रहेगा और इसमें किसी प्रकार का परिवर्ततन वेतन आदि में वृद्धि के कारण अनुमन्य नहीं होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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