मामला एक महिला के साथ लाखों रूप्ये के फ्राड का है।पुलिस की लचर कार्यशैली का नतीजा है की फ्राड करने वाले छुट्टा साड़ की तरह घूम रहे हैं।जनपद में जमीनों की खरीद फरोख्त का धंधा विगत कई वशोंZ से दलालों की घुसपैठ की वजह से विराल वृक्ष के रूप् में स्थापित हो चुका है।इसकी भनक किसी को हो या न हो लेकिन हमारी मित्र पुलिस को अवश्य होगी।क्योकि पुलिस की नज़र से गलत काम करने वाला बच जाए तो फिर पुलिस का मतलब समझ से परे हो जाता है एक सुनियोजित फ्राड की हकीकत की कहानी कुछ इस तरह से शुरू हुई जिसमें मोहरा किरन सिंह पत्नी राजश कुमार सिंह निवासी नवीपुर को बनाया गया एक ऐसी जमीन यदि सूत्रों की माने तो उसे कई वशोंZ से दलालों ने बेचने का प्रयास किया परन्तु सफलता उन दलालों को तब मिली जब इन फ्राड कम्पनी को किरन सिंह के रूप में महिला मिली इन 420 करने वालों ने जमीन के कागजात निकलवाये मोआइना करवाया और किरन सिंह को सन्तुश्ट कर सात लाख रूपये में बेंच दिया बकायदा लक्ष्मी चन्द्र ,कृश्ण चन्द्र पुत्र रामकृपाल आदि लोगों ने किरन सिंह को हथियानाला स्थित गाटा सं0 18 बैनामा कर दिया जब उक्त जमीन पर किरन सिंह ने काम शुरू किया तब पता चला कि ये जमीन किसी और की है उसके तुरन्त बाद बिक्रेता और बिचौलियों को बुलाया गया सभी का बयान दर्ज हुआ और रूपया वापसी की बात हुई परन्तु रूप्या वापस तो दूर किरन सिंह व इनके पति को धमकियां मिलना शुरू हो गई।थकहार कर किरन सिंह ने पांच लोंगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवायी जिसमें बकायदा मु0अ0सं0 1341/10धारा 419, 420, 504, व 506 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ तथा दा लोगों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया परन्तु पुलिस ने उन दो लोगों को एक दिन बाद छोड़ दिया जिससे पुलिस के प्रति शंका उत्पन्न होती है जबकि किरन सिंह अपने साथ हुए फ्राड के सम्बंध में कोतवाल व पुलिस अधीक्षक से मिल चुकी है।किरन सिंह का कहना है कि मेरे साथ सुनियोजित ढ़ंग से धोखा किया गया है साथ ही अपना पैसा मांगने पर मुझे व मेरे परिजनों को धमकियां मिल रही है।हालांकि इस तरह की घटना तब तक रूकना सम्भव नहीं है जब तक कि इन जमीन के कारोबारियों जिन्हें दलाल कहा जाता है पुलिस के पास सूची नहीं होगी जनपद में भूमाफिया इतने सक्रिय हो गये हैं कि कब्रिस्तान व शमशान घाट तक का सौदा कर रहे हैं। इसमें तहसील से लेकर पुलिस विभाग तक अपने दायित्वों का सही निर्वाहन न करना शामिल है मामला किरन सिंह का अति गम्भीर है किरन सिंह या ऐसे न जाने कितनी किरन सिंह व राजेश सिंह ठगी के शिकार हो चुके है।और न्याय के लिए ठोकर खा रहे है।और ठगी करने वाले लग्जरी गाड़ियों से घूम रहे है।यही कारण है कि इनके हौसले बुलन्द हैं।यदि इस पर अंकुश नहीं लगा और ठगी करने वाले सलाखों के पीछे नहीं गये तो नििश्चत तौर पर ऐसे भुक्तभोगियों की संख्या बढ़ती रहेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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