उत्तर प्रदेश सरकार ने आलिया स्तर के जिन 61, मदरसों को अनुदान सूची पर लिया है, उनमें इलाहाबाद के सर्वाधिक छ: मदरसे शामिल हैं। सरकार का मानना है कि अनुदान सूची पर लिये जाने वाले यह मदरसे मुस्लिम समुदाय के शैक्षणिक स्तर को ऊपर उठाने में और बेहतर तरीके से अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकेंगे।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुशीनगर, बलरामपुर, फतेहपुर तथा गा़जीपुर जनपद के चार-चार, बस्ती, कन्नौज, महराजगंज, सिद्धार्थ नगर और सीतापुर जनपद के तीन-तीन, सन्तकबीर नगर, प्रतापगढ़, कानपुर, कौशाम्बी, बहराइच, जौनपुर तथा लखनऊ के दो-दो मदरसों के अतिरिक्त हरदोई, मिर्जापुर, बाराबंकी, भदोही, सुल्तानपुर, देवरिया, जे.पी.नगर, अम्बेडकर नगर, आजमगढ़ और लखीमपुर-खीरी जनपद के एक-एक मदरसे को अनुदान सूची पर लिया गया है। अनुदान सूची पर लिये जाने के बाद इन मदरसों पर आने वाला व्ययभार 11 करोड़ 18 लाख 22 हजार 516 रुपये अनुमानित है। यह मदरसे गत जुलाई से चालू शिक्षा सत्र से अनुदान सूची पर रखे गये हैं।
ज्ञातव्य है कि मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने प्रदेश के कुल 100 मदरसों को अनुदान सूची पर लिये जाने की घोषणा की थी, जिनमें स 39 मदरसों को पूर्व में ही अनुदान सूची पर ले लिया गया था। वर्तमान में इन 61 मदरसों को शामिल करते हुए मुख्यमन्त्री की घोषणानुसार पूरे 100 मदरसे अनुदान सूची पर लिये जा चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अल्पसंख्यकों की आबादी प्रदेश की कुल आबादी का 18 प्रतिशत से अधिक है। इसे ध्यान में रखते हुए अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास का, सम्पूर्ण प्रदेश के समग्र विकास में विशेष महत्व है। प्रदेश के अल्पसंख्यक समुदाय में सर्वाधिक जनसंख्या मुस्लिमों की है। मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय शैक्षणिक एवं आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक पिछड़ा हुआ है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव न केवल राज्य के मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय पर, वरन पूरे प्रदेश के विकास पर पड़ना स्वभाविक है। यह मदरसे मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षणिक एवं सामाजिक विकास में अहम रोल अदा करते हैं। इस समय प्रदेश में आलिया स्तर के स्थाई मान्यता प्राप्त 1306 मदरसे हैं, जिनमें 360 मदरसे अनुदानित हैं तथा 946 मदरसे गैर अनुदानित हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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