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केन्द्र द्वारा प्रस्तावित जी0एस0टी0 लागू हो जाने से आम उपभोक्ता के उपयोग की वस्तुएं मंहगी होंगी

Posted on 04 August 2010 by admin

छोटे कारीगरों, उद्यमियों, मजदूरों तथा गरीब आदमी के
हितों के विपरीत है जी0एस0टी0 पैकेज

प्रस्तावित जी0एस0टी0 संरचना एवं संविधान संशोधन का
मसौदा उ0प्र0 सरकार को कतई स्वीकार नहीं

जी0एस0टी0 पैकेज अमीर व गरीब के बीच की
खाई को और गहरा करने की कवायद है

केन्द्र सरकार ने बहुराष्ट्रीय कम्पनियों तथा धन्ना सेठों के
हितों को ध्यान में रखकर जी0एस0टी0 पैकेज तैयार किया

आज नई दिल्ली में जी0एस0टी0 के सम्बन्ध में केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए सुझाव तथा प्रस्तावित संविधान संशोधन पर राज्यों के वित्त एवं वाणिज्य कर मन्त्रियों की बैठक में राज्य सरकार का पक्ष श्री दुबे रख रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि केन्द्र सरकार द्वारा बहुराष्ट्रीय कम्पनियों एवं देश के धन्ना सेठों के हितों को अधिमान देते हुए उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के सभी छोटे-छोटे कारीगरों, उद्यमियों, मजदूरों तथा गरीब आदमी के हितों को नकारते हुए, जी0एस0टी0 पैकेज तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि अमीर व गरीब के बीच की जो खाई पाटने की बात भारत सरकार द्वारा की जा रही है, वह वास्तव में कोरा दिखावा है। जी0एस0टी0 पैकेज खाई और गहरी किए जाने की कवायद है।
वाणिज्य कर मन्त्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का यह मत है कि केन्द्रीय वित्त मन्त्री द्वारा 21 जुलाई, 2010 को जी0एस0टी0 के सम्बन्ध में दिए गए सुझाव पूर्णत: अव्यवहारिक तथा राज्यों के हितों के विरूद्ध है। उन्होंने कहा कि इम्पावर्ड कमेटी द्वारा जी0एस0टी0 के प्रभावों के सम्बन्ध में व्यापक विचार-विमर्श के बाद कर की दोहरी दरें अर्थात कर की मानक दर व इसके अलावा आम उपभोग की वस्तुओं के लिए एक न्यून दर रखने का सुझाव दिया गया था। परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा सतही तकाZें के आधार पर सुझाव को दर किनार करते हुए कर की एक ही दर प्रस्तावित की है, जो उसकी जनविरोधी सोच को जाहिर करता है। इससे यह स्पष्ट है कि केन्द्र सरकार केवल पूंजीपतियों एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की पक्षधर है। भले ही इससे समाज का निर्धन वर्ग मंहगाई के बोझ तले दब जाए। उन्होंने कहा कि जी0एस0टी0 में केन्द्र सरकार द्वारा सभी प्रकार की सेवाओं के लिए 08 प्रतिशत ़ 08 प्रतिशत प्रस्तावित की गई है। परन्तु यह दर शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय सेवाओं पर भी लागू होने का परिणाम यह होगा कि छोटी निजी शिक्षण संस्थाओं एवं अस्पतालों द्वारा उपलब्ध करायी जा रही सेवाएं और भी मंहगी हो जायेंगी। अत: सेवाओं के लिए भी दोहरी कर रखी जानी जरूरी होगी।
राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार जी0एस0टी0 की एकल दर लागू करने की हटवादिता को दरकिनार कर इम्पावर्ड कमेटी द्वारा सुझायी गई दोहरी दर की व्यवस्था को स्वीकार करे, जिससे आम उपभोक्ता, छोटे निर्माता तथा व्यापारी दैनिक कर के अत्यधिक बोझ से बचे रहें। साथ ही यह उचित होगा कि केन्द्र सरकार दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं पर शून्य ही बनाये रखें तथा राज्य सरकार को यह स्वतन्त्रता हो कि वह ऐसी वस्तुओं पर कर की दर 04 प्रतिशत बनाये रखें।
कर योग्य टर्न ओवर की सीमा पर राज्य सरकार का अभिमत व्यक्त करते हुए उन्होेेंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय जी0एस0टी0 के लिए भी यह सीमा राज्य जी0एस0टी0 के बराबर अर्थात 10 लाख रूपये रखे जाने का सुझाव दिया गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जी0एस0टी0 की सीमा दस लाख रूपये करने का परिणाम यह होगा कि 1.5 करोड़ रूपये तक के टर्न ओवर की लघु औद्योगिक इकाइयां भी केन्द्रीय जी0एस0टी0 के दायरे में आ जायेंगी, जो वर्तमान कानूनों के अनुसार केन्द्रीय एक्साइज ड्यूटी के दायरे में नहीं आती हैं। यह सम्भावित है कि कर का भार बढ़ जाने से जी0एस0टी0 व्यवस्था में व्यापार प्रतिस्पर्धात्मक न रह जाये, इस स्थिति में बहुत सी इकाइयां बन्दी के कगार पर पहुंच जायेंगी तथा इन इकाइयों में लगे कुशल कारीगर बेरोजगार हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त आम जनता भी इन इकाइयों से प्राप्त होने वाले सस्ते उपयोगी उत्पादों से वंचित हो जायेगी।    उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुख्यत: लघु औद्योगिक इकाइयां बहुत अधिक संख्या में हैं। यही स्थिति देश के अनेक अन्य राज्यों में भी है। भारी संख्या में स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर देने वाली इन इकाइयों को जी0एस0टी0 व्यवस्था में और अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उचित होगा कि जी0एस0टी0 व्यवस्था में इन इकाइयों को केन्द्रीय कर के भार से मुक्त रखा जाए। चूंकि जी0एस0टी0 व्यवस्था में राज्यों की थ्रेश होल्ड लिमिट पांच लाख रूपये से बढ़ाकर दस लाख की जा रही है। इसलिए केन्द्रीय जी0एस0टी0 के सम्बन्ध में लघु औद्योगिक इकाइयों की थे्रश होल्ड लिमिट बढ़ाकर तीन करोड़ रूपये किया जाना उचित होगा।
कर मुक्त वस्तुओं के सम्बन्ध में राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए वाणिज्य कर मन्त्री ने कहा कि जी0एस0टी0 में केवल 99 वस्तुओं को कर मुक्त करने का सुझाव दिया गया है। यह वही वस्तुएं हैं, जिन्हें वैट व्यवस्था में कर मुक्त रखने की सिफारिश इम्पावर्ड कमेटी ने की थी। उन्होंने कहा कि राज्यों में वैट व्यवस्था लागू होने पर यह सूची व्यवहार में अब सर्वथा अपर्याप्त पायी गई तथा स्थानीय महत्व की अनेक वस्तुएं इस सूची में शामिल न होने के कारण राज्यों को इस सूची से इतर अनेक वस्तुएं कर मुक्त करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि जब यह सूची वैट व्यवस्था में ही अपर्याप्त पायी गई थी, तो इसे उसी रूप में जी0एस0टी0 व्यवस्था में लागू करने का कोई औचित्य नहीं है। यदि केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित 99 वस्तुओं को ही जी0एस0टी0 व्यवस्था में कर मुक्त रखा जाता है, तो उत्तर प्रदेश में सिवइयां बड़ी व मुंगौड़ी जैसी आम खाने-पीने की वस्तुएं गरीबों के मकानों में लगने वाली खपड़ैल तथा शादी-ब्याह के अवसरों पर प्रयोग की जाने वाली दोना-पत्तल ऐसी आम उपयोग की वस्तुएं 16 प्रतिशत की दर से कर योग्य हो जायेंगी। इतना ही नहीं राज्य में बनारसी साड़ी तथा अन्य प्रकार की कढ़ाई की वस्तुएं जो कुशल एवं निर्धन कारीगरों के द्वारा की जाती है तथा राज्य के हस्तशिल्प की सदियों पुरानी परम्परा की वाहक है 16 प्रतिशत की दर से कर योग्य हो जायेंगी तथा कर के बोझ के कारण यह शिल्प राज्य से समाप्त हो जाने का भय है। उन्होंने कहा कि यह उचित होगा कि पहले सभी राज्यों से विचार-विमर्श कर इस सूची को पुनरीक्षित कर लिया जाए तथा पुनरीक्षण के बाद ही इसे लागू किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों को यह अधिकार दिया जाना चाहिए कि वह इस सूची में अपने राज्य की आवश्यकतानुसार संशोधन कर सके।
उन्होेंने कहा कि केन्द्र द्वारा सुझायी गई एकल कर की व्यवस्था का समेकित प्रभाव के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इसका परिणाम यह होगा कि वर्तमान में 04 प्रतिशत की दर से कर योग्य वस्तुओं की दर में तीन प्रतिशत अथवा चार प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी तथा 12.5 प्रतिशत की दर से कर योग्य वस्तुओं की दर में 04.5 प्रतिशत अथवा 5.5 प्रतिशत की कमी आयेगी। परन्तु उत्तर प्रदेश में 4 प्रतिशत की दर से कर योग्य वस्तुओं से प्राप्त राजस्व अधिक है अत: राज्य जी0एस0टी0 की 8 प्रतिशत की दर करने से उ0प्र0 को राजस्व हानि होगी। उन्होंने कहा कि जी0एस0टी0 में विलीन किए जाने वाले करों से उत्तर प्रदेश को कुल कर राजस्व का लगभग 65 से 70 प्रतिशत तक प्राप्त होता है। अत: उत्तर प्रदेश का कर की दरों में उक्त परिवर्तन से सर्वाधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित होना संभावित है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा समाज के गरीबों, मजलूमों तथा वंचितों, शहरी गरीबों, बालिकाओं की शिक्षा के लिए चलायी जा रही अनेक योजनाओं यथा मान्यवर श्री कांशीराम जी शहरी गरीब आवास योजना, सर्वजन हिताय शहरी गरीब आवास योजना, मा0 कांशीराम जी नगर विकास योजना, सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना एवं महामाया गरीब बालिका आशीर्वाद योजना जैसी अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं तथा यदि राज्य की आर्थिक स्थिति जी0एस0टी0 लागू होने के फलस्वरूप कमजोर होती है, तो इसका सीधा प्रभाव उक्त योजनाओं पर पड़ेगा एवं राज्य सरकार को इन योजनाओं को बन्द करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि जी0एस0टी0 व्यवस्था राज्यों के लिए तभी उपयोगी होगी, जब इस व्यवस्था से राज्य अपने आप आर्थिक रूप से समृद्ध हो। अत: केन्द्र सरकार जी0एस0टी0 लागू करने में इम्पावर्ड कमेटी के सुझावों के अनुरूप व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाये।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा सुझाव दिया गया है कि राज्य व केन्द्रीय जी0एस0टी0 पंजीयन हेतु एक ही एजेन्सी होनी चाहिए, इससे करदाता को पंजीयन के लिए दो प्राधिकारियों के सामने उपस्थित रहने की जरूरत नहीं रह जायेगी। केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित यह व्यवस्था स्वीकार की जा सकती है, परन्तु कर निर्धारण के सम्बन्ध में इसी प्रकार की एक व्यवस्था बनायी जानी जरूरी होगी। उन्होनें कहा कि जी0एस0टी0 व्यवस्था में राज्य सरकार व केन्द्र सरकार के कर निर्धारण अधिकारियों द्वारा एक ही टर्नओवर का अलग-अलग कर निर्धारण किया जायेगा। परन्तु फिर भी किसी विशिष्ट बिन्दु पर उनमें मत विभिन्नता हो सकती है। एक ही व्यापारी के एक ही वर्ष का कर निर्धारण प्रदेश व केन्द्र के अधिकारियों द्वारा अलग-अलग करने से एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा होगी। प्रस्तावित जी0एस0टी0 व्यवस्था में ऐसी स्थिति के निराकरण की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। एक ही व्यापारी के एक ही टर्नओवर के लिए दो अधिकारियों के कर निर्धारण अधिकारी होने पर व्यापारी की कम्प्लायन्स कास्ट भी बढ़ेगी, जिसका परिणाम यह होगा कि व्यापारियों में कर निर्धारण के दायरे से बाहर रहने की प्रवृत्ति में बढ़ोत्तरी होगी। अत: जी0एस0टी0 व्यवस्था को अन्तिम रूप देते समय इस बिन्दु को ध्यान में रखा जाना जरूरी है।
प्रस्तावित संविधान संशोधन के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा इस मसौदे में राज्यों के जी0एस0टी0 कानूनों में संशोधन के प्रस्तावों को स्वीकृति देने के लिए जिस जी0एस0टी0 काउिन्सल के गठन का प्रस्ताव किया गया है, उसमें काउिन्सल का चेयरमैन केन्द्रीय वित्त मन्त्री को बनाने के साथ-साथ वीटो पॉवर भी दिए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। काउिन्सल में किसी भी प्रस्ताव को पारित कराने के लिए दो तिहाई सदस्यों के बहुमत के अलावा केन्द्रीय वित्त मन्त्री की सहमती की भी व्यवस्था है। इसका मतलब यह है कि यदि काउिन्सल पूर्ण बहुमत से किसी प्रस्ताव को पास कर दे, तो यह प्रस्ताव तब तक काउिन्सल से पास नहीं माना जायेगा, जब तक केन्द्रीय वित्त मन्त्री इस पर सहमति न दे दें। इस प्रकार वीटो पॉवर की कल्पना अपने आप में अलोकतान्त्रिक है, जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जायेगा। उन्होनें कहा कि केन्द्रीय वित्त मन्त्री को स्थायी चेयरमैन बनाना उचित नहीं है। यह पद बारी-बारी से प्रत्येक राज्य को दिया जाना चाहिए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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