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क्या होगा दिहाड़ी मजदूर की रसोई का

Posted on 03 August 2010 by admin

बुंदेलखंड के लोग मिलावट, घटतौली और पेट्रो पदार्थो के दामों में बढ़ोतरी से  आम आदमी की रसोई के स्वाद को कसैला बना दिया है। पांच लोगों ने परिवार के लिये रोटी, दाल और सब्जी का जुगाड़ करने में दिहाड़ी मजदूरों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि अब बाजार में सब्जियों के भाव किलो में न होकर पांव में होने लगे हैं।
  लगातार बदती सब्जियों के दाम असमान पर है खुशनुमा तथ्य यह है कि इस बार अब आलू और प्याज ने उछाल नहीं मारा है। आलू का मोल भाव किलो में किया जाता है। आलू सात रुपये और प्याज दस रुपये किलो में उपलब्ध है। वहीं भसीड़ा नाम से मशहूर कमल ककड़ी बीते वर्ष पांच रुपये पाव बिकती थी। इस साल दस रुपये पाव बेची जा रही है। नींबू और मिर्च के भाव भी आसमान छू रहे हैं। नींबू दस रुपये पाव और मिर्च 25 रुपये पाव में है। इतना ही नहीं इस समय बाजार में रंगे हुए परवल की भरमार है। सोया 15 रुपये और पालक पांच रुपये पाव में है। सीजन की सब्जी घुइयां का भाव दुकानदार 10 रुपये की आधा किलो बताते हैं। यही हाल साग पात समझी जाने वाली तरोई का है। हरा केला 30 रुपये किलो और धरती का फूल 30 रुपये का सौ ग्राम है। पेट्रो पदार्थो के दामों की बढ़ोतरी का असर सब्जी मंडी में नजर आने लगा है। वहीं दालों की स्थिति भी लोगों का डरा रही है। रोगियों की जरूरत समझी जाने वाली मूंग की दाल 85 रुपये और बच्चों की खास पसंद अरहर की दाल 70 रुपये किलो में है। इस स्थिति में दिहाड़ी मजदूर के लिये रोटी-दाल का जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है।

Vikas Sharma
bundelkhandlive.com
E-mail :editor@bundelkhandlive.com
Ph-09415060119

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