मा0 सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद भी पुलिस रिफार्म के प्रति प्रदेश सरकार की उदासीनता तथा आम जनता की सुरक्षा के प्रति उदासीन प्रदेश की बसपा सरकार जिस प्रकार प्रदेश में अिग्रम जमानत (एन्टीसिपेटिंग वेल) के प्रति ुक है, इससे यह आभास होता है कि प्रदेश सरकार खुद तथा अपने विधायकों को बचाने के लिए इस तरह के संशोधन ला रही हैं जिसको कांग्रेस पार्टी की सरकार ने प्रदेश में अपराधियों पर अंकुश लगाने की नीयत से वर्ष 1976 में विधानसभा में विधेयक के जरिए बन्द किया गया था। ऐसा लगता है कि आज प्रदेश सरकार की प्राथमिकता पर उसके अपराधी मन्त्री तथा विधायक (अपराध चाहे किसी भी तरह का हो), को बचाने के लिए विधेयक ला रही हैं। अच्छा होता कि प्रदेश सरकार पहले आम जनता को यह बताती कि आखिर इस विधेयक को लाने की आवश्यकता क्या है।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि इतना ही नहीं इस विधेयक में आर्थिक अपराध को शामिल कर प्रदेश सरकार ने यह सिद्ध कर दिया कि यह सरकार घपलों और घोटालों की सरकार है और आने वाले समय में आर्थिक अपराध करने वालोंं को जेल की हवा न खानी पड़े, इसीलिए इस विल को लाया जा रहा है।
प्रवक्ता ने कहा कि सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय का नारा देने वाली वर्तमान उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। बसपा सरकार में खुद मन्त्री तक सुरक्षित नहीं हैं। कुछ दिन पहले कबीना मन्त्री श्री नन्द गोपाल नन्दी पर हुए जानलेवा हमले में एक पत्रकार सहित दो लोगों की हत्या हो, मऊ के पूर्व विधायक श्री कपिलदेव यादव की हत्या हो, सोनभद्र में एक राष्ट्रीय दैनिक के पत्रकार कमलेश की हत्या हो, इतना ही नहीं अभी कल ही भाजपा विधानमण्डल दल के उपनेता एवं पूर्व मन्त्री श्री हुकुम सिंह की पत्नी श्रीमती रेवती सिंह की नृशंस हत्या ने प्रदेश की बसपा सरकार की कानून व्यवस्था की कलई खोल दी है।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि रोजाना हो रही तमाम हत्याओं और अपराध से आम जनता भयभीत है। अच्छा होता कि सरकार पहले प्रदेश में हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाती उसके बाद फिर ऐसे विधेयक को जनता की सहमति के बाद लाने के बाद विचार करती।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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