सहयोगी और स्वलम्बन समिति के तत्वाधान में डा0 सलिल बिन्दु घोश संख्या विद् की स्मृति में बालविद्या निकेतन सभागार में भारत बदलते बाजारीकरण एवं ग्रामविकास विशय पर संगोश्ठी का आयोजन किया गया। संगोश्ठी में विभिन्न विचारकों ने बदलते परिवेश में ग्रामीण विकास के सुगम माडल के विकास के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और वातावरण को ध्यान में रखते हुये विकास की परिकल्पना को लागू करने के लिए सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनों का आवाहन किया। प्रमुख सचिव राज्यपाल जे.बी. पटनायक ने अपने उदगार व्यक्त करते हुये कहा कि बाजारीकरण के कारण देश में विकास को नई गति मिली है। जिसके चलते गॉव भी विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सके है। आज हर व्यक्ति के पास मोबाईल है चाहे व गरीब हो या अमीर। बाजारीकरण से साधारण आदमी को लाभ मिल रहा है। जहॉ ग्रामीण क्षेत्र की बात है तो आज भी आई.टी. उद्योग बंगलौर, मुम्बई और नोएडा के अलावा सम्पूर्ण भारत के बड़े-बड़े नगरों को भी विलेज मानता है। लखनऊ में जब आई.टी. विकास के लिये पहल की गई तो इसी उद्योग से जुड़े लोग लखनऊ को विलेज कहते नही थकते थे। आज मुरमुरा खाने वाले लोग चाईनीज रेस्टोरेंट में जा रहे है। ग्रामीण क्षेत्र में कानवेन्ट िशक्षा का प्रचलन बताता है कि क्रय शक्ति बड़ी है। कार्यक्रम मेें अन्य वक्ताअों ने कहा कि बाजारी करण के चलते माल बना मूल्य का महत्व बड़ गया है जिसके कारण गरीब और गरीब, अमीर और अमीर होता जा रहा हैं जिसके कारण समाज में असमान्ता की गहरी खाई उत्पन्न हो रही है। इसे पाटे बिना बाजारीकरण का दुश्प्रभाव समाज पर भी पड़ने से नही रोका जा सकता है। भारत कृशि प्रधान देश है ग्राम के विकास के बिना देश का विकास सम्भव नहीं है। संगोश्ठी का संचालन शैलेन्द्र शुक्ला ने किया। वक्ताओं में जी.बी. पटनायक, प्रो0 महेन्द्र सिंह सोडा, डा0 एस.एन. घटक, पी0 चटर्जी, डा0 ए.के. सिंह, आर.के. गुप्ता, शान्तनु शर्मा, डा0 जगमोहन, मुकेश श्रीवास्तव,डी0के0 बनर्जी, राजेश शुक्ला प्रमुख थे। मीताश्री घोश ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेट कर स्वागत किया। अन्त में डा0 जे.बी. घोश ने सभी का आभार व्यक्त किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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