शिशु के लिए स्तनपान सर्वोत्तम आहार है। प्रत्येक वर्ष की भान्ति इस वर्ष भी अगस्त माह का प्रथम सप्ताह विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। स्तनपान शिशु का मौलिक अधिकार है तथा विभिन्न शोधों से यह स्पष्ट हो चुका है कि शिशु के व्यापक विकास और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है कि शिशु को जन्म के एक घंटे के अन्दर मॉ का दूघ आरम्भ कर दिय जाये। इस प्रकार हम शिशु मृत्यु दर में 20 प्रतिशत तक की कमी ला सकते है।
यह उद्गार परिवार कल्याण के महानिदशक श्री एस0पी0राम ने आज यहॉ विधान सभा मार्ग स्थित विशाल काम्प्लेक्स में आयोजित प्रेस कांफ्रेस ेमें व्यक्त कियें। उन्होंने कहा कि आरम्भ के 3 व 4 दिनों के गाढ़े पीले दूध में, जिसे हम कोलोस्ट्रम (खीस) कहते हैं, रोगों से लड़ने की अद्भुत प्रतिरोधी क्षमता होती हैं। इसी कारण इसे अमृत/पियूष अथवा प्रथम प्राकृतिक टीकाकरण भी कहते हैं। प्रथम छ: माह तक केवल मॉ का दूध ही दिया जाय तथा मॉ के दूध के अतिरिक्त कुछ भी नहीं देना चाहिए। सातवां माह लगते ही बच्चे को मॉ के दूध के साथ-साथ आसानी से पचने वाला घरेलू भोजन जैसे गाढ़ी-गाढ़ी घुटी हुई दाल, खिचड़ी, दलिया, मसला हुआ केला तथा उबला आलू देना शुरू कर देना चाहिए। परन्तु मॉ का दूध कम से कम दो वर्ष की आयु तक चलता रहना चाहिए। इससे बच्चे का शारीरिक व मानसिक तथा मनोवैज्ञानिक विकास बहुत अच्छा होता है।
श्री राम ने कहा कि स्तनपान शिशु को पूर्ण पोषण के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य का वरदान भी देता है। मॉ का दूध पीने वाले बच्चे भावनात्मक, बौद्धिक एवं मानसिक दृष्टि से स्थिर एवं समृद्ध होते है। उन्होंने कहा कि स्तनपान मॉ को भी निरोग रखने में सहायक है तथा ये स्तन/अण्डाशय एवं गर्भाशय का कैंशर तथा हडि्डयों को कमजोर होना रोकता है। स्तनपान कराने से मॉ स्वस्थ्य, प्रसन्नचित एवं निरोग रहती है। स्तनपान जन्म के तुरन्त बाद होने वाले रक्तस्राव में कमी लाकर बच्चे दानी को सामान्य स्थिति में लाने में सहयोगी होता है। यह प्राकृतिक गर्भ निरोधक का कार्य भी करता है।
श्री राम ने कहा कि इस वर्ष की थीम ´´समुचित स्तनपान-दस कदमों का ध्यान, बच्चों की मुस्कान´´। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 विश्वस्तनपान सप्ताह के मुख्य उद्देश्य यह है। प्रदेश के अधिकतम चिकित्सालयों एवं स्वास्थ्य इकाईयों को बेबी फ्रैण्डली इकाई के रूप में विकसित करना।
प्रदेश के अधिकतम इकाईयों में बेबी फ्रैण्डली हािस्पटल इनीसिएटिव कार्यक्रम के अन्तर्गत चििन्हत दस कदमों का अनुपालन, बेबी फ्रैण्डली हािस्पटल इनीसिएटिव कार्यक्रम के अन्तर्गत चिकित्सालयों के कर्मियों तथा सेवा प्रदाताओं का प्रशिक्षण तथा बच्चों के कृत्रिम दूध, बोतल एवं पैसीफायर के नुकसान के सम्बन्ध में समुदाय को बताना तथा इसके प्रयोग के लिए हतोत्साहित करना है।
श्री राम ने कहा कि हमारा पुनीत कर्तव्य है कि हम महिलाओं को उनके शिशुओं को छ: माह तक केवल स्तनपान तथा कम से कम दो वर्ष की आयु तक ऊपरी खाद्य पदार्थों के साथ-साथ स्तनपान जारी रखने को प्रोत्साहित करें तथा बोतल एवं ऊपरी दूध के प्रयोग के लिए मना करें, जिससे शिशु मृत्यु दर एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सकेंं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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