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क्रय अनिवार्यता की अवधि 31 मार्च, 2011 तक बढ़ी

Posted on 30 July 2010 by admin

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मन्त्रिपरिशद् ने सरकारी विभागों एवं शासकीय नियन्त्रणाधीन उपक्रमों/निगमों/ प्राधिकरणों/परिशदों एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं में शासकीय संस्थाओं द्वारा उत्पादित वस्त्रों की क्रय अनिवार्यता की अवधि को 31 मार्च, 2011 तक के लिए बढ़ा दी है।
मन्त्रिपरिशद् द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार इन वस्त्रों का क्रय उ0प्र0 राज्य हथकरघा निगम लि0, यूपिका, उ0प्र0 खादी ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा वित्तपोशित एवं प्रमाणित संस्थाओं तथा गांधी आश्रम एवं उत्तर प्रदेश हस्तिशल्प विकास एवं विपणन निगम के माध्यम से किया जायेगा।
राज्य के औद्योगिक एवं आर्थिक विकास में लघु एवं कुटीर इकाइयों के महत्व तथा हथकरघा से जुड़े बुनकरों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लघु एवं कुटीर हथकरघा इकाइयों द्वारा उत्पादित 11 प्रकार के वस्त्रों का क्रय सरकारी विभागों एवं शासकीय नियन्त्रणाधीन उपक्रमों/निगमों/प्राधिकरणों/परिशद्ों एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं द्वारा अनिवार्य रूप से की गई है।
जिन वस्त्रों का क्रय उिल्लखित संस्थाओं से किये जाने की अनिवार्यता की गई है, उनमें-सूटिंग एवं शर्टिंग (खाकी, नेवी ब्ल्यू, ग्रे, सफेद आदि सभी रंगों में), कॉटन बेड दरी (सभी किस्म एवं रंगों में), हक्का बैक/हनी कोम्ब/टेरी टावेल, साड़ी एवं धोती, बेड सभी प्रकार के), फशीZ दरी, ऊनी वदीZ का कपड़ा, गाज बैण्डेज क्लाथ, दो सूती क्लाथ हैं। -शीट एवं पिलो कवर, परदे के कपड़े एवं टेपेस्ट्री (सोफा इत्यादि के प्रयोग हेतु), ऊनी कम्बल

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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