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बी0एस0पी0 सांसदों ने प्रधानमन्त्री से ताज इन्टरनेशनल एयरपोर्ट बनाये जाने के लिए शीघ्र आवश्यक स्वीकृति जारी करने का अनुरोध किया

Posted on 28 July 2010 by admin

प्रदेश में अवस्थापना सुविधाओं के तेजी से विकास तथा रोजगार के बेहतर अवसरों के लिए केन्द्र को अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की शीघ्र स्वीकृति प्रदान करनी चाहिए ताज एयरपोर्ट की स्थापना से दिल्ली एयरपोर्ट का टैªफिक कन्जेशन दूर होगा बी0एस0पी0 सांसदों का प्रतिनिधि-मण्डल प्रधानमन्त्री से मिला

उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती के निर्देश पर बी0एस0पी0 सांसदों के एक प्रतिनिधि मण्डल ने आज संसद भवन, नई दिल्ली में प्रधानमन्त्री डॉ0 मनमोहन सिंह से भेंट कर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ग्रेटर नोएडा के समीप जेवर में स्थापित किये जाने वाले ताज इन्टरनेशनल एयरपोर्ट के मामले में व्यक्तिगत रूचि लेकर आवश्यक स्वीकृति शीघ्र जारी करने का अनुरोध किया। सांसदों ने कहा कि प्रदेश में अवस्थापना सुविधाओं के तेजी से विकास तथा आस-पास के क्षेत्रों में रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार को प्रस्तावित अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की स्वीकृति शीघ्र प्रदान कर देनी चाहिए।
सुश्री मायावती ने अभी हाल में ही 20 जुलाई को अपने सरकारी आवास पर की बैठक करके सभी सांसदों से प्रदेश के विकास के सम्बन्ध में चर्चा की थी, जिसमें उन्होंने निर्देश दिये थे कि सभी सांसद केन्द्र स्तर पर लिम्बत प्रदेश के विकास से सम्बन्धित परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमन्त्री जी एवं अन्य केन्द्रीय मन्त्रियों से मिलकर उनसे इन परियोजनाओं को शीघ्र स्वीकृत कराने का अनुरोध करें, जैसा कि पिछले सत्र के दौरान उन्होंने प्रधानमन्त्री जी से मिल कर किया था। उन्होंने कहा कि यद्यपि इस मुलाकात के बाद भी प्रदेश की किसी भी लिम्बत परियोजना के बारे में प्रगति नहीं हुई। फिर भी प्रदेश के विकास के हित में पार्टी के सांसदगण पुन: प्रधानमन्त्री जी से मिलकर ताज इन्टरनेशनल एयरपोर्ट, छ: कोल ब्लाक आंवटन करने तथा प्रदेश के तेजी से विकास के लिए 80 हजार करोड़ रूपये के लिए विशेष आर्थिक पैकेज स्वीकृत करने का अनुरोध करें।
प्रतिनिधिमण्डल ने प्रधानमन्त्री को बताया कि ताज इन्टरनेशनल एयरपोर्ट पर केन्द्र सरकार की स्वीकृति लगभग 07 वषोZं से लिम्बत है। नागरिक उड्डयन मन्त्रालय, भारत सरकार ने 09 अप्रैल, 2009 को इिन्दरा गांधी इण्टरनेशनल एयरपोर्ट, दिल्ली से 72 किमी दूर स्थित जेवर के समीप एक अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की स्थापना हेतु तकनीकी स्वीकृति प्रदान की थी।
प्रतिनिधिमण्डल ने प्रधानमन्त्री को अवगत कराया कि कैबिनेट की स्वीकृति लिये जाते समय केवल एक शर्त रखी गई थी कि 150 किमी की परिधि के भीतर एक दूसरा अन्तर्राश्ट्रीय एयरपोर्ट बनाये जाने की स्थिति में नये एयरपोर्ट में इिन्दरा गांधी इन्टरनेशनल एयरपोर्ट के प्रवर्तक `डायल´ (डेलही इन्टरनेशनल एयरपोर्ट अथार्टी लिमिटेड) को `फस्र्ट राईट ऑफ रिफ्यूजल एवं 10 प्रतिशत `प्राईस प्रिफरेन्स´ देना होगा। केन्द्र सरकार द्वारा `डायल´ के साथ किये गये स्टेट सपोर्ट एग्रीमेन्ट में भी यही प्राविधान भी रखा गया। इस शर्त पर उ0प्र0 सरकार द्वारा मई 2007 में ही सहमति प्रदान कर दी गई थी। नागरिक उड्डयन मन्त्रालय द्वारा डायल के साथ हस्ताक्षरित स्टेट सपोर्ट एग्रीमेन्ट में भी यही प्रावधान रखा गया है। जेवर इन्टरनेशन एयरपोर्ट पर कैबिनेट द्वारा स्वीकृति दिये जाने के समय इस शर्त पर उस समय उत्तर प्रदेश सरकार से जेवर इन्टरनेशनल एयरपोर्ट के विकास के लिये बनाये जाने वाली `एस0पी0वी0 में राज्य सरकार की सहभागिता भी मांगी गई थी। इस सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा स्पश्ट कर दिया गया था कि यमुना एक्सपे्रस वे अथॉरिटी इस परियोजना के लिए नोडल एजेन्सी होगी एवं एस0पी0वी0 में राज्य सरकार प्रतिनिधित्व एवं सहभागिता भी करेगी।
प्रतिनिधिमण्डल ने प्रधानमन्त्री जी को अवगत कराया कि भारत सरकार द्वारा इन्टरनेशनल एयरपोर्ट की स्वीकृति हेतु लगाई गई आवश्यक शर्त उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2007 से ही पूरी की जा चुकी है, इसलिए `ताज इन्टरनेशनल एयरपोर्ट´ की स्वीकृति केन्द्र सरकार द्वारा अविलम्ब दी जानी चाहिए। प्रतिनिधि मण्डल ने बताया कि दिल्ली का एयर ट्रैफिक अब केवल इिन्दरा गांधी इन्टरनेशनल एयरपोर्ट से ही हैण्डिल किया जाना सम्भव नहीं है, इसलिये यह अत्यन्त जरूरी हो गया है कि दिल्ली के लिए एक दूसरा इन्टरनेशनल एयरपोर्ट ग्रेटर नोएडा के समीप जेवर के लिए तत्काल स्वीकृत कर दिया जाए। जेवर इन्टरनेशनल एयरपोर्ट के स्वीकृत होने के बाद ही वशZ 2015-16 तक दिल्ली के `एयर टैªफिक कंजेशन´ का निदान हो सकेगा।
प्रतिनिधिमण्डल ने यह भीे अवगत कराया कि पिछले तीन वशोZं में ट्रैफिक की ग्रोथ अनुमानों की अपेक्षा कहीं ज्यादा रही है और कोई भी व्यक्ति जो इिन्दरा गांधी इन्टरनेशनल एयरपोर्ट का उपयोग करता है, उसे एयरपोर्ट में हो रहे `टैªफिक कंजेशन´ का सामना करना पड़ता है। प्रतिनिधिमण्डल ने इस बात पर भी जोर दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वशZ 2007 की ट्रैफिक स्टडी के प्रोजेक्शन्स के आधार पर अध्ययन रिपोर्ट भारत सरकार को भेज दी गई, जिसके अनुसार 2016 तक इिन्दरा गांधी इन्टरनेशनल एयरपोर्ट में ट्रैफिक 100 मिलियन से अधिक अनुमानित है। एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इण्डिया का `ट्रैफिक प्रोजेक्शन´ भी यही है। एक्सपर्ट स्टडी के अनुसार 2021 में जेवर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट के बनने पर एन0सी0आर0 क्षेत्र का वार्शिक पैसेन्जर अनुमान 161 मिलियन है, जिसमें डायल (दिल्ली इन्टरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड) का अंश 136 मिलियन होगा, जो डायल की 2026 के लिए निर्धारित अधिकतम क्षमता 100 मिलियन से ज्यादा है। वशZ  2021 में जेवर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट का प्रोजेक्श्न 25 मिलियन है


प्रतिनिधिमण्डल ने प्रधानमन्त्री को यह भी अवगत कराया कि ताज इण्टरनेशनल एयरपोर्ट, बनाने के लिए ट्रिगर प्वॉइण्ट या टैªफिक स्टडी कराये जाने की बात अनावश्यक है। राज्य सरकार को 2003 में जो मूल तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गई थी, उसमें किसी `ट्रिगर प्वॉइण्ट´ या `ट्रैफिक स्टडी´ की आवश्यकता का उल्लेख नहीं था। एटार्नी जनरल, भारत सरकार ने भी अपनी स्पश्ट राय देते हुए कहा कि डायल की बिड कण्डीशन/एग्रीमेन्ट ग्रेटर नोएडा में अन्तर्राश्ट्रीय एयरपोर्ट स्वीकृत करने में किसी प्रकार की विधिक बाधा उत्पन्न नहीं करता है। सांसदों ने कहा कि डायल को `पोस्टबिड बेनेफिट न दिया जाये। वैसे भी `एयरपोर्ट डेवलमेन्ट टैक्स´ डायल को दिया गया, एक बहुत बड़ा `पोस्टबिड बेनेफिट´ है। अब `ट्रिगर´ की बात उठाना भी `डायल´ को `पोस्टबिड´`बेनेफिट´ दिये जाने के समान होगा।
प्रतिनिधि मण्डल ने प्रधानमन्त्री के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष गम्भीरता से रखते हुए इस बात पर बल दिया कि ताज एयरपोर्ट की स्वीकृति में विलम्ब के कारण जहां एक ओर ट्रैफिक कन्जेशन दूर करने के लिए उपाय प्रारम्भ करने में अनावश्यक विलम्ब हो रहा है, वहीं प्रदेश में अवस्थापना सुविधाओं के तेजी से विकास के लिए प्रदेश सरकार के प्रयासों में बाधा उत्पन्न होने के फलस्वरूप, उत्तर प्रदेश के हितों की अनदेखी भी हो रही है।
सांसदों ने बताया कि दुनिया के सभी बड़े शहरों जैसे- न्यूयार्क, वािशंगटन, लन्दन आदि में एक से अधिक एयरपोर्ट बने हैं। ऐसे शहरों में सेटेलाइट एयरपोर्ट का कन्सेप्ट है, ताकि ट्रैफिक कन्जेशन नहीं हो सके। ताज इण्टरनेशनल एयरपोर्ट इसी प्रकार एन0सी0आर0 का दूसरा एयरपोर्ट होगा। यह एयरपोर्ट जापान की सहायता से प्रस्तावित `दिल्ली-मुम्बई इन्डस्ट्रियल इन्वेस्टमेन्ट कारीडोर´ तथा `दिल्ली-मुम्बई फ्रेट कारीडोर´ के ऊपर स्थित होने से कार्गो के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा। इससे मल्टी मोडल कनेक्टीविटी फेसिलिटी मिल सकेगी, जो उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के समग्र विकास में विशेश योगदान देगी।
सांसदों ने प्रधानमन्त्री जी को यह भी अवगत कराया कि राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार के निरन्तर आग्रह पर परियोजना के परामर्शदाता को सप्लीमेन्ट्री टी0ई0एफ0आर0, डी0आई0ए0एल0 को सम्मलित करते हुए, बनाने की कार्यवाही की गई। यहॉ तथ्य विचारणीय है कि प्रश्नगत विषय में डायल एक सम्बन्धित पक्ष है एवं उसे इस कार्यवाही में सम्मिलित किया जाना कानफ्लीक्ट ऑफ इन्टरेस्ट होगा। प्रदेश सरकार द्वारा सप्लीमेन्ट्री टी0ई0एफ0आर0 भारत सरकार को पत्र दिनंाक 10-06-2010 द्वारा उपलब्ध करा दी गई है, जिसके अनुसार निकट भविष्य में हवाई ट्रैफिक अनुमान में जनवरी, 2008 की पूर्व रिपोर्ट में उिल्लखित ट्रेफिक अनुमान की तुलना में मात्र थोड़ी कमी होगी। ट्रैफिक के दीघZकालिक अनुमान में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होगा।
ताज अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने पर दिल्ली में वर्ष 2021 में 155 मिलियन का पैसेन्जर ट्रेफिक अनुमानित है, जिसमें डायल के टैªफिक का अंश 127 मिलियन होगा, जो कि उसकी निर्धारित अधिकतम क्षमता 100 मिलियन से काफी अधिक है। वर्ष 2016 तथा 2021 में ताज अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का टैªफिक प्रोजेक्शन क्रमश: 11 मिलियन व 28 मिलियन अनुमानित है। इस प्रकार दोनों एयरपोर्ट अपने-अपने बाजार क्षेत्र के आधार पर विकसित होगे। ताज एयरपोर्ट के टैªफिक में बढ़ोत्तरी मूलत: ट्रािन्जट ट्रैफिक, उच्च क्षेत्रीय आर्थिक विकास तथा अन्य बड़ी गतिविधियों के आधार पर अतिरिक्त टैªफिक के सृजन से होगी। इस प्रकार ताज अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए वर्ष 2016 से पर्याप्त टैªफिक होगा तथा इिन्दरा गांधी एयरपोर्ट के टैªफिक पर प्रभाव नहीं होगा।
प्रतिनिधि मण्डल ने अवगत कराया कि केन्द्र सरकार द्वारा देश में 150 किमी0 परिधि के अन्तर्गत गोवा एयरपोर्ट में 65 किमी0 स्थित मोपा एयरपोर्ट, कैलीकट एयरपोर्ट से 80 किमी0 तथा मैंगलोर एयरपोर्ट से 125 किमी0 दूर कन्नुर एयरपोर्ट और जयपुर एयरपोर्ट से 63 किमी0 दूर कार्गो एयरपोर्ट (विराट नगर) को अनुमति दी है। इसके अतिरिक्त मुम्बई एयरपोर्ट से 35 किमी दूर नवी-मुम्बई एयरपोर्ट को भी सहमति दी गई है। मुम्बई एयरपोर्ट व नवी मुम्बई एयरपोर्ट तथा दिल्ली एयरपोर्ट व ग्रेटर नोएडा के निकट जेवर में अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का मामला पूर्ण रूप से एक समान है, जिसमें दोनों ही वर्तमान एयरपोर्ट लीज पर निजी कम्पनियों को दिये गये हैं।
प्रधानमन्त्री डॉ0 मनमोहन सिंह ने प्रतिनिधिमण्डल की बात को पूरी गम्भीरता से सुना और कहा कि जेवर में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाये जाने के मामले को ग्रुप आफ मिनिस्टर्स (जी0ओ0एम0) द्वारा अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने आश्वस्त  किया कि प्रतिनिधिमण्डल द्वारा आज उठाये गये सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विचार अवश्य किया जायेगा। इसके अलावा 80 हजार करोड़ रूपये के विशेष आर्थिक पैकेज स्वीकृत करने तथा कोल लिंकेज ब्लाक आवंटित करने आदि के सम्बन्ध में भी प्रधानमन्त्री ने अपनी तरफ से पूरी मदद का आश्वासन दिया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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