समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने एक बयान में कहा है कि उत्तर प्रदेश में बाढ़ का संकट गहराता जा रहा है। राजधानी सहित 20 से ज्यादा जिले इससे अब तक प्रभावित हो चुके हैंं और इस मानसून के प्रारम्भ मे हीं सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं। नदियों के कटान से दर्जनों गांवों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है जबकि सैकड़ों गांव पानी में डूबे हुए हैं। मुख्यमन्त्री ने बाढ़ में फंसे हजारों लोगों की सुधि लेना भी जरूरी नहीं समझा है। उनका कोई मन्त्री मुसीबतजदा लोगों के बीच नहीं गया। 20 जिलों में राहत के लिए कुल 6 करोड़ रूपए की राशि तय करके प्रशासन ने अपनी अमावनीय संवेदनहीनता का परिचय दिया है।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि राप्ती, घाघरा, ‘ाारदा, गंगा आदि नदियां पूरे उफान पर हैं। इससे उनके क्षेत्र के तमाम इलाके प्रभावित हुए हैं। गांव के गांव डूब गए हैं और कुछ का तो तेज बहाव में अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। पूर्वी और पिश्चमी उत्तर प्रदेश दोनों जगह बाढ़ की तबाही का मंजर है। कई हाईवे क्षतिग्रस्त हो गए हैंं जिससे आवागमन भी प्रभावित हो रहा है। श्री चौधरी ने कहा कि राज्य में हजारों एकड़ फसल नश्ट हो गई है। जिन किसानों ने अभी धान की रोपाई की थी वह सब चौपट हो गई है। पहले से सूखे की मार खाए किसानों के लिए यह बाढ़ बहुत दु:खदायी है। कर्ज की मार और फसल की चोट खाया किसान फिर आत्महत्या के लिए मजबूर होगा। यह सरकार तो किसान विरोधी है। उसने किसानों को राहत देने का कोई काम नहीं किया है। मुख्यमन्त्री के कागजी निर्देशों के बावजूद तहसील स्तर पर बकाया वसूली का काम निर्ममता से चल रहा है।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि प्रदेश में मंहगाई से लोग बुरी तरह त्रस्त है। अब बाढ़ के संकट से आम आदमी की कमर और तोेड़ दी है। प्रशासन पूरी तरह संवेदनहीन बना हुआ है। मुख्यमन्त्री को गरीबों की परवाह नहीं, क्योंकि वे तो उनको करोड़ों की नोटों की माला पहना नहीं सकते हैं बाढ़ ग्रस्त गांव वाले मुख्यमन्त्री को मुकुट और हीरे के हार भी भेंट नहीं कर सकते हैं। इसलिए उनकी मुसीबतों की ‘ाासन को कोई फिक्र नहीं हो सकती है। राहत के नाम पर लूट का एक और दरवाजा खुल जाने की जरूर संभावना है। समाजवादी पार्टी सरकार के अमानवीय एवं संवेदनहीन आचरण की घोर निन्दा करती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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