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यू0पी0ए0 सरकार ने विकास के नाम पर उठाये कदमों और बनाये गये नियम-कानून को लागू करने से पहले कभी भी पूरी तैयारी नहीं की

Posted on 26 July 2010 by admin

केन्द्र सरकार िशक्षा का अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन की विफलता का ठीकरा राज्य सरकारों पर न फोड़ें
उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी ने िशक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रदेश में क्रियान्वयन को लेकर केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मन्त्री श्री कपिल सिब्बल द्वारा कल की गई टिप्पणी को गैर जिम्मेदाराना और जनता को गुमराह करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू0पी0ए0 सरकार केवल आम जनता को भुलावे में रखने और उसे भ्रमित करने की नीयत से समय-समय पर विभिन्न सेक्टरों को बढ़ावा देने के लिए नये-नये कानून तो बनाती रहती है, लेकिन इन कानूनों का क्रियान्वयन करने की जब बात आती है, तो वह अपना पल्ला झाड़कर सारी जिम्मेदारी राज्यों पर डाल देती है और यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि यू0पी0ए0 सरकार ने विकास के नाम पर जो भी कदम उठाये और नियम-कानून बनाये, उन्हें लागू करने से पहले कभी भी पूरी तैयारी अर्थात् होमवर्क नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने केवल राजनीतिक लाभ लेने के लिए आधी-अधूरी तैयारियों के साथ इन कार्यक्रमों को राज्य सरकारों पर थोप दिया, जिसके चलते सभी राज्य सरकारें तमाम तरह की कठिनाइयां महसूस कर रही हैं, जिसका एक जीता-जागता उदाहरण िशक्षा का अधिकार अधिनियम भी है।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में केन्द्र सरकार द्वारा गठित जुडििशयल इम्पैक्ट असेसमेण्ट सम्बन्धी टास्क फोर्स ने भी साफ तौर पर यह संस्तुति की है कि संघीय सूची और समवर्ती सूची में शामिल विशयों पर यदि केन्द्र सरकार कोई अधिनियम बनाती है, तो उसे उक्त अधिनियम को लागू करने में निहित शत-प्रतिशत वित्तीय भार वहन करना चाहिए। चूंकि िशक्षा संविधान की समवर्ती सूची में शामिल है इसलिए केन्द्र सरकार को िशक्षा का अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन का वित्तीय बोझ राज्य सरकारों पर नहीं डालना चाहिए।

सुश्री मायावती ने कहा कि राज्य सरकार िशक्षा, खासतौर से बेसिक िशक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। इसीलिए पिछले वशोंZ की तुलना में लगातार बेसिक िशक्षा विभाग के बजट में बढ़ोत्तरी की जा रही है। उन्होेंने कहा कि जहां वशZ 2007-08 में 8613 करोड़ रूपये की धनरािश का प्राविधान किया गया था, वहीं 2008-09 में इसकी तुलना में लगभग 9700 करोड़ रूपये और 2009-10 में बेसिक िशक्षा पर 12412 करोड़ रूपये की धनरािश व्यय की गई। उन्होंने कहा कि िशक्षा का अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन को ध्यान में रखते हुए वशZ 2010-11 के लिए 15175 करोड़ रूपये का प्राविधान बेसिक िशक्षा के लिए किया गया है, जो राज्य के कुल बजट का 10 प्रतिशत है। यह तथ्य साफ करते हैं कि हमारी सरकार ने तमाम कठिनाइयों के बावजूद अपने सीमित संसाधनों में से ही कुल बजट की 10 प्रतिशत धनरािश केवल बेसिक िशक्षा पर व्यय करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा तथाकथित रूप से की जा रही आर्थिक मदद की यदि तुलना की जाए तो यह साफ हो जाता है कि किस प्रकार से िशक्षा का अधिकार अधिनियम को लेकर केन्द्र सरकार दुश्प्रचार कर रही है और प्रदेश सरकार द्वारा इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए किये जा रहे अथक प्रयासों को झुठलाने में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि बेसिक िशक्षा सेक्टर के लिए पूरे देश में सबसे अधिक धनरािश की व्यवस्था करने वाली उत्तर प्रदेश सरकार पर बेसिक िशक्षा के प्रति गम्भीर न होने का आरोप लगाने से पहले श्री सिब्बल को इन तथ्यों की जानकारी कर लेनी चाहिए थी।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि िशक्षा का अधिकार अधिनियम को भलीभान्ति लागू करने के लिए प्रदेश सरकार ने सभी परिस्थितियों को विस्तार से अवगत कराते हुए केन्द्र सरकार से अतिरिक्त धनरािश स्वीकृत करने का अनुरोध कई बार किया। इसी क्रम में उन्होंने प्रधानमन्त्री जी को पत्र लिखकर िशक्षा का अधिकार अधिनियम के भलीभान्ति क्रियान्वयन के लिए केन्द्र सरकार से प्रथम तीन वशZ में 22868 करोड़ रूपये की अतिरिक्त धनरािश स्वीकृत करने का भी अनुरोध किया था। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि िशक्षा के कानून के भली-भान्ति क्रियान्वयन के लिए आवश्यक कदम उठाने और अपेक्षित धनरािश को स्वीकृत करने के बजाय श्री सिब्बल घटिया बयानबाजी पर उतर आये। जो यह साफ करता है कि केन्द्र सरकार की मंशा, िशक्षा का अधिकार अधिनियम के प्राविधानों के अनुरूप, इस देश में िशक्षा को सर्वसुलभ बनाने की नहीं है। वह केवल इस अधिनियम को पारित कराकर इसका राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि िशक्षा का अधिकार कानून लागू करवाने हेतु केन्द्र सरकार से अतिरिक्त धनरािश की मांग करने वाला उत्तर प्रदेश कोई इकलौता राज्य नहीं है। उन्होंने कहा कि पं0 बंगाल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक तथा पंजाब जैसे राज्यों द्वारा भी इस कानून को लागू करने से उत्पन्न वित्तीय भार को सहन कर पाने में अपनी-अपनी असमर्थता से केन्द्र सरकार को अवगत कराया गया। इसी तरह छत्तीसगढ़, उड़ीसा और कांग्रेस शासित आन्ध्र प्रदेश की सरकारों ने इस अधिनियम के भलीभान्ति क्रियान्वयन के लिए केन्द्र सरकार से अतिरिक्त धनरािश की मांग की है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि श्री सिब्बल ने क्या इन राज्यों का दौरा कर वहां की सरकारों के खिलाफ भी इस तरह की बयानबाजी की है र्षोर्षो उन्होंने कहा कि इससे साफ है कि प्रदेश में लगभग 20 वशZ से अधिक समय से सत्ता से वनवास भोग रही कांग्रेस पार्टी की केन्द्र सरकार का रवैया उत्तर प्रदेश के प्रति सदैव से उपेक्षापूर्ण और पक्षपातपूर्ण रहा है। यह इस बात से और भी साफ हो जाता है कि विगत तीन वशोंZ में जब से प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनी है, तब से केन्द्र सरकार द्वारा कुल मिलाकर 17492 करोड़ रूपये केन्द्रांश के रूप में राज्य सरकार को मिलने थे, वह आज तक नहीं दिये गये, जिससे विकास कायोंZ को पूरा करने में बाधा पहुंची। उन्होंने कहा कि श्री सिब्बल को चाहिए कि वह केन्द्र सरकार की विफलता का ठीकरा राज्य सरकारों पर न फोड़ें, बल्कि िशक्षा का अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन को गम्भीरता से लें और सभी राज्य सरकारों को उनकी मांग के अनुसार अपेक्षित धनरािश उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें।

मुख्यमन्त्री ने दलित एवं अन्य पिछड़े वगोंZ में समय-समय पर जन्मे सन्तों, गुरूओं व महापुरूशों के आदर-सम्मान में बनाये गये स्मारक, संग्रहालय, मूर्तियों और पाकोंZ को लेकर श्री सिब्बल द्वारा की गई बयानबाजी को अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि प्रदेश की जनता इस सच्चाई से अच्छी तरह वाकिफ है कि पिछले तीन वशोंZ के दौरान इन स्मारकों आदि के निर्माण पर व्यय की गई धनरािश कुल बजट के लगभग एक प्रतिशत से भी कम है। इतना ही नहीं, इस प्रकार का गैर-जिम्मेदाराना बयान देने से पहले श्री सिब्बल को देश भर में गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर बनाये गये सैकड़ों स्मारकों, संग्रहालयों, मूर्तियों व पाकोंZ की याद क्यों नहीं आयी, जिन पर इस देश का खरबों रूपया प्रतिवशZ केवल रख-रखाव पर ही खर्च होे रहा है। उन्होंने कहा कि  इस बात से यह अन्दाजा लगाया जा सकता है कि गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर बने इन स्मारकों आदि पर इस देश का कितना पैसा लगाया जा चुका है और इस दृिश्ट से श्री सिब्बल द्वारा दलित एवं अन्य पिछड़े वगोंZ के महापुरूशों के स्मारकों आदि के बारे में की गई टिप्पणी नितान्त अशोभनीय ही कही जायेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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