केन्द्र सरकार पिछड़े वर्ग के छात्रों की दो हजार करोड़ रूपये की अवशेष छात्रवृत्ति शीघ्र अवमुक्त करे 11वीं पंचवषीZय योजना के दौरान प्रतिवर्ष 15 लाख इिन्दरा आवासों की मंजूरी दी जाये शिक्षा का अधिकार अधिनियम को सुचारू रूप से लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश के लिए 22,868 करोड़ रु0 की व्यवस्था की जाये दलहन एवं तिलहन ग्राम स्थापना योजना में राज्यों के साथ भेदभाव न किया जाय वृद्धावस्था, विधवा व विकलांग पेंशन योजना को राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम से आच्छादित किया जाय प्रधानमन्त्री आदर्श ग्राम योजना में चयनित गांवों को दी जाने वाली धनराशि अपर्याप्त केन्द्र द्वारा वर्ष 2002 की बी0पी0एल0 सूची मेंं कोई परिवर्तन न किये जाने से अनेक गरीब परिवार विभिन्न योजनाओं के लाभ से वंचित राज्यों को गाडगिल फार्मूले के बजाय कम से कम 75 प्रतिशत बिजली देने की नीति अपनायी जाय
उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने प्रधानमन्त्री डॉ0 मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय विकास परिषद् की बैठक में कहा है कि विकास से वंचित गरीब एवं दबे कुचले वर्गों को विकास की मुख्य धारा में लाने तथा सामाजिक और क्षेत्रीय असन्तुलन दूर करने के लिए केन्द्र सरकार को बिना किसी भेदभाव के आगे आना चाहिए। उन्होंने केन्द्र सरकार स्तर पर लिम्बत विभिन्न परियोजनाओं की शीघ्र स्वीकृति तथा अन्य मदों में केन्द्र सरकार द्वारा देय धनराशि को शीघ्र अवमुक्त करने की मांग की है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि केन्द्र सरकार उत्तर प्रदेश को हरसम्भव सहयोग करेगी।
ग्यारहवीं पंचवषीZय योजना की मध्यावधि समीक्षा के आधार पर उभर कर आयी स्थिति तथा अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विचार करने के लिए प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता में बुलायी गई राष्ट्रीय विकास परिषद् की बैठक में मुख्यमन्त्री के प्रतिनिधि के रूप में प्रदेश के संसदीय कार्य मन्त्री श्री लाल जी वर्मा ने उनके वक्तव्य को पेश किया। उन्होंने कहा है कि मध्यावधि समीक्षा से यह तथ्य उभरकर सामने आ रहे हैं कि पिछड़े राज्यों तथा समाज के सभी वर्गों को अभी तक समानता का अवसर नहीं मिल पाया है। इसलिए सभी वगोंZ के लोगों को समृद्धि और उन्नति के समान अवसर दिये जाने हेतु बगैर किसी राजनीतिक द्वेष-भाव के कार्यवाही की जानी चाहिए।
मुख्यमन्त्री ने इस महत्वपूर्ण बैठक के लिए प्रधानमन्त्री डॉ0 मनमोहन सिंह का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 11वीं पंचवषीZय योजना की मध्यावधि समीक्षा के आधार पर विकास को नई दिशा देने के मुद्दे पर सभी लोगों को गम्भीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 11वीं पंचवषीZय योजना के लिए फास्टर एण्ड इन्क्लूसिव ग्रोथ की परिकल्पना की गई थी, ताकि सभी वगोंZ और क्षेत्रों का समग्र विकास हो सके। मध्यावधि समीक्षा से यह तथ्य उभरकर आ रहा है कि पिछड़े राज्यों तथा समाज के सभी वगोंZ को समानता का अवसर अभी नहीं मिल पाया है।
मुख्यमन्त्री ने कहा है कि विकास दर में उतार-चढ़ाव के लिए विश्वव्यापी मन्दी, सूखा आदि को मध्यावधि समीक्षा में विशेष उल्लेख किया गया है। उत्तर प्रदेश में विकास कायोंZ के लिए अपेक्षित संसाधन जुटाने को वरीयता दी गई है, जिसके फलस्वरूप वर्ष 2007-08 में राज्य की विकास दर 7.9 प्रतिशत थी और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वर्ष 2008-09 में 7.2 प्रतिशत रही। परन्तु आसमान छूती महंगाई ने गरीबों का जीवन दूभर कर दिया है। उन्होंने कहा कि महंगाई पर लगाम लगाने के साथ ही गरीबों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्हें राहत पहुंचाने के लिए केन्द्र सरकार को समुचित व्यवस्था करनी चाहिए।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि केन्द्र द्वारा अभी भी वर्ष 2002 की बी0पी0एल0 सूची को यथावत बनाये रखा गया है। इसमें कोई परिवर्तन न होने के कारण अनेक गरीब परिवारों को विभिन्न योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कई बार केन्द्र से अनुरोध किया गया कि ऐसे परिवारों को बी0पी0एल0 सूची में शामिल किया जाये, परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं की गई। ऐसे गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधारने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा अपने सीमित संसाधनों से उत्तर प्रदेश मुख्यमन्त्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना लागू करने का निर्णय लिया गया। इस योजना के प्रथम चरण में 30 लाख परिवारों को लाभािन्वत किया जायेगा।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि मध्यावधि समीक्षा में यह बिन्दु भी उभर कर आया है कि राज्यों को दी जाने वाली केन्द्रीय सहायता के अंश में कमी हुई है। उन्होंने कहा कि बैंकों के स्तर पर योजना तैयार कर प्रदेश में अिग्रम देने में तेजी लायी जाये और राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को लागू करने में बैंकों द्वारा सहयोग किया जाये।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि क्षेत्रीय विषमताओं के स्थायी समाधान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। राज्यों की बीच और प्रदेशों के अन्दर व्याप्त असन्तुलन के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। इसको दूर करने के लिए उन्होंने 80 हजार करोड़ रूपये के विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की थी, लेकिन अभी तक केन्द्र द्वारा कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है। यहां तक कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए मात्र 3506 करोड़ रूपये का सूखा राहत पैकेज स्वीकृत किया गया है। इस क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए यह पैकेज बहुत कम है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि उच्च विकास दर के बावजूद गरीब और किसानों की स्थिति बदहाल है। किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य नहीं मिल पा रहा है। 11वीं पंचवषीZय योजना में पूरे देश के लिए कृषि की निर्धारित विकास की दर से काफी पीछे है। देश में कृषि के विकास की अपार संभावनाएं हैं। इन सम्भावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए केन्द्र को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरे चरण की हरित क्रान्ति लाने के लिए मौजूदा विनियोग के स्तर को बढ़ाना होगा।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि उनकी सरकार ने कृषि के विकास को प्रथम वरीयता दी है। जैविक खेती एवं जैव उर्वरक को प्रोत्साहित करने, भूमि सुधार हेतु जिप्सम तथा जिंक सल्फेट पर 90 प्रतिशत अनुदान किसानों को दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाइब्रिड धान की प्रजातियों पर अनुदान की सीमा 40 रूपये से बढ़ाकर 100 रूपये प्रति किलो अथवा मूल्य का 50 प्रतिशत दिये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों के बीच कृषि के विकास में विभेद करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता है। दलहन एवं तिलहन ग्राम स्थापना योजना में उत्तर प्रदेश में मात्र 5400 गांव चयनित किये गये हैं, जबकि महाराष्ट्र में 10,200 गांव चयनित हुए हैं। उन्होंने सिंचाई सुविधा सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को कम से कम पांच परियोजनाएं राष्ट्रीय सिंचाई परियोजनाओं के रूप में लेने की मांग की।
मुख्यमन्त्री ने मनरेगा योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इस योजना में 100 दिन का रोजगार दिये जाने तक सीमित रखना उचित नहीं है। लोगों की आय के स्थायी स्रोत सृजित किये बिना बेरोजगारी की समस्या का समाधान सम्भव नहीं है। उन्होंने पंचायतों को स्वावलंबी बनाने के लिए सभी तरह के अधिकार दिये जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमन्त्री आदर्श ग्राम नामक योजना में केवल 10 लाख रूपये प्रति ग्राम की दर से दी जाने वाली धनराशि से गांवों का भला नहीं हो सकता। उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के तेजी से विकास पर जोर देते हुए भारत सरकार द्वारा चयनित 33 नक्सल प्रभावित जनपदों में सोनभद्र के साथ मिर्जापुर और चन्दौली को भी शामिल करने की मांग की।
मुख्यमन्त्री ने अवस्थापना सुविधाओं के विकास में विद्युत, सड़क, परिवहन की मुख्य भूमिका बताते हुए कहा कि इसमें केन्द्र सरकार को सकारात्मक सहयोग देना चाहिए। उन्होंने कहा कि 11वीं पंचवषीZय योजना अवधि में लगभग 5000 मेगावाट तथा 12वीं पंचवषीZय योजना में लगभग 25,000 मेगावाट की नई परियोजनाओं को पूरा करने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कोयला मन्त्रालय से एटा, सोनभद्र, ललितपुर तथा यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण क्षेत्र में थर्मल पावर प्लाण्ट हेतु कोल-लिंकेज स्वीकृत किये जाने का अनुरोध किया। इसके साथ ही उन्होंने छ: कोल-ब्लॉक आवंटित करने की भी मांग की। उन्होंने राज्यों को गाडगिल फार्मूले के बजाय कम से कम 75 प्रतिशत बिजली दिये जाने की नीति अपनाने पर जोर दिया।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना के तहत 1000 से अधिक आबादी वाले सभी ग्राम/मजरों को जोड़ दिये जाने के बाद 500 से अधिक जनसंख्या वाले ग्रामों/मजरों को जोड़ने की योजना इस आधार पर स्वीकृत नहीं की जा रही कि अन्य राज्यों में अभी 1000 से अधिक आबादी वाले ग्राम/मजरे नहीं जुडे़ हैं। दूसरी ओर राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अन्तर्गत मजरों के विद्युतीकरण को स्वीकृति नहीं दी जा रही, जबकि अन्य राज्यों में सभी मजरों को विद्युतीकृत करने की कार्यवाही पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम को सुचारू रूप से कार्यािन्वत करने के लिए 90 प्रतिशत व्यय भार केन्द्र सरकार द्वारा उठाया जाना चाहिए। उन्होंने तीन वषोंZ की अल्पावधि में शैक्षणिक अवस्थापना हेतु उत्तर प्रदेश को 22,868 करोड़ रूपये की आवश्यकता की पूर्ति किये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान का स्वागत करते हुए कहा कि इस योजना में उत्तर प्रदेश के साथ अन्याय किया जा रहा है। इस योजना में संशोधन की आवश्यकता है।
मुख्यमन्त्री ने वृद्धावस्था पेंशन की भान्ति विधवा पेंशन एवं विकलांग पेंशन योजना में पहले से चले आ रहे सभी लाभार्थियों को राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के अन्तर्गत अच्छादित करने का अनुरोध किया। इसके साथ ही उन्होंने दशमोत्तर छात्रवृत्ति की भान्ति पूर्वदशम छात्रवृत्ति के लिए भी केन्द्रीय सहायता प्रदान करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आई0सी0डी0एस0 के कार्यक्रम की योजनाओं में केन्द्रांश को हटाकर 90 प्रतिशत किये जाने से योजना के क्रियान्वयन में कठिनाई हो रही है। इसको दृष्टिगत रखते हुए पूर्व की भान्ति शत-प्रतिशत केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करायी जाए। उन्होंने वनाधिकार अधिनियम के अन्तर्गत अनुसूचित जाति के सदस्यों को भी अनुसूचित जन जाति की भान्ति वन भूमि के अधिकार देने की मांग की।
मुख्यमन्त्री ने डी0पी0ए0पी0 घोषित विकास खण्डों के अलावा जिन क्षेत्रों में प्राय: सूखे का प्रभाव रहता है, उन क्षेत्रों की परियोजनाओं के लिए भी 90 प्रतिशत अनुदान की मांग की। उन्होंने पूर्वांचल क्षेत्र में हरित क्रान्ति योजना के लिए 27 चयनित जनपदों के लिए आवंटित धनराशि मात्र 57 करोड़ रूपये को अपर्याप्त बताते हुए प्रत्येक जनपद को कम से कम 10 करोड़ रूपये की धनराशि आवंटित करने की मांग की। उन्होंने सहकारी क्षेत्र में किसानों को ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड री-फाईनेंस की निर्धारित 40 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत किये जाने पर जोर दिया। उन्होंने आवासहीन परिवारों को 11वीं पंचवषीZय योजना में 15 लाख आवास प्रति वर्ष की दर से इिन्दरा आवास की स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया।
मुख्यमन्त्री ने प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित की गईं 5962 करोड़ रूपये की परियोजनाओं को स्वीकृत करने तथा प्रदेश के 1.37 लाख मजरों के विद्युतीकरण के लिए 9700 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया। इसके अलावा सड़कों से सम्बन्धित वर्ष 2009-10 की परियोजनाओं के लिए स्वीकृत अवशेष धनराशि तथा परियोजनाओं की स्वीकृति जारी करने की मांग की। उन्होंने पंचवषीZय योजना के अन्तर्गत स्नातकोत्तर की वर्तमान 468 सीटों को बढ़ाकर 761 किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति देने की मांग की। इसके अलावा उन्होंने वर्ष 2012-13 में इलाहाबाद में आयोजित किये जाने वाले महाकुम्भ के लिए 1853.35 करोड़ रूपये की लिम्बत परियोजनाओं की स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया है।
मुख्यमन्त्री ने जेवर में स्थापित होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा एवं एविएशन हब परियोजना की शीघ्र सैद्धान्तिक सहमति देने की मांग की। इसके अलावा कुशीनगर में पी0पी0पी0 के आधार पर स्थापित होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए शीघ्र अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने का भी अनुरोध किया। इसके अलावा उन्होंने पिछड़े वर्ग के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की लगभग 2000 करोड़ रूपये की धनराशि अवमुक्त करने की मांग की । उन्होंने कहा कि बार-बार स्मरण दिलाने के बाद भी अपेक्षित धनराशि नहीं दी जा रही है। इसके अलावा उन्होंने आंगनबाड़ी केन्द्रों हेतु 83.31 करोड़ रूपये की एकमुश्त अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता देने की मांग की। उन्होंने न्यायालयों की आधारभूत संरचना हेतु 50 प्रतिशत की धनराशि में बढ़ोत्तरी करने तथा उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ के नवीन भवन के लिए अपेक्षित 772 करोड़ रूपये में से 50 प्रतिशत की धनराशि देने की मांग की।
मुख्यमन्त्री ने पुलिस बलों को आधुनिकतम अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित करने तथा सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने के लिए राज्यों को विशेष प्रोत्साहन दिये जाने की मांग की। इस बैठक में राज्य सरकार की ओर से मुख्य सचिव श्री अतुल कुमार गुप्ता, अवस्थापना विकास आयुक्त एवं प्रमुख सचिव वित्त श्री अनूप मिश्र तथा प्रमुख सचिव नियोजन श्री मंजीत सिंह ने भी भाग लिया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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