तुमने दिया देश को जीवन, देश तुम्हे क्या देगा, अपनी आग तेज करने को, नाम तुम्हारा लेगा।ß भारत की स्वतन्त्रता शान्ति से नहीं क्रान्ति से मिली। भारत बलिदान की भूमि है, यहां देश के लिये मरमिटने वालों की लम्बी श्रृंखला है। इसी कड़ी में अमर क्रान्तिकारी बाल गंगाधर तिलक एवं शहीद शिरोमणि चन्द्रशेखर आजाद ने अपनी क्रान्तिकारी गतिविधियों से हिलाकर रख दिया था। 23 जुलाई को दोनो क्रान्तिकारियों की जयन्ती समारोह सुमंगलम् सेवा साधना संस्थान एवं कत्तZव्या फाउण्डेशन द्वारा हषोZल्लास के साथ मनाया गया। प्रात: 9 बजे तिलक प्रतिमा स्थल नावेल्टी चौराहे पर पूज्य तिलक जी को माल्र्यापण एवं पुष्पांजलि तथा 11.30 बजे लखनऊ विश्वविद्यालय स्थित आजाद प्रतिमा पर माल्र्यापण कर देश की एकता, अखण्डता, सुरक्षा का संकल्प लिया गया। Þस्वतन्त्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार हैß एवं Þआजाद हैं, आजाद रहेंगेß का उद्घोष देने वाले क्रान्तिवीर तिलक जी एवं आजाद जी को श्रद्धा के साथ याद किया गया।
इस अवसर पर सुमंलम् के महासचिव राजकुमार ने कहा कि स्वाधीनता आन्दोलन में तिलक एवं आजाद जी ने Þहिन्दुत्व ही राष्ट्रीत्व हैß के उद्घोष को सिद्ध करते हुए हिन्दुत्व के आधार पर राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन को चलाया। क्रान्तिकारी जिस आजाद भारत के सपने को लेकर बलिदान हुए थे, वे अभी अधूरे है, आधी-अधूरी आजादी को पूरी करने के लिये युवा पीढ़ी को अपनी प्रतिभा क्षमता भारत माता के चरणों में समर्पित करनी पढ़ेगी। लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व महामन्त्री शिवभूषण सिंह ने कहा कि आज सामाजिक परिवर्तन के लिये पुन: एक क्रान्ति की जरूरत है। इसमें युवाओं को आगे आना चाहिए।
कत्तZव्या फाउण्डेशन के सचिव हरनाम सिंह ने आजाद जी के जीवन पर प्रकाश डालते कहा कि आजाद को संस्कार धरोहर के रूप में मिला था। वे साहसी, स्वाभिमानी और वचन के पक्के थे। 1919 में हुए जलियां वाले बाग नरसंहार ने उन्हें काफी व्यथित किया था। 1921 में महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ किया तो वे इसमें बढ़-चढ़ कर भाग लिये थे। इसी आन्दोलन में वे गिरफ्तार हुए और 15 बेन्तों की सजा उन्हें मिली और वाराणसी में उनका नाम आजाद प्रसिद्ध हुआ। हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापक रहे आजाद काकोरी काण्ड तथा साडंर्स वध में शामिल रहे। पुलिस उनसे इतना भयभीत रहती थी कि इलाहाबाद में आजाद के वीरगति प्राप्त होने के बाद भी पुलिस उनके शरीर के पास काफी देर तक नहीं गई और मृत शरीर पर गोलियां दागती रही।
हैदराबाद के कवि पुनीत क्रान्तिकारी ने राष्ट्रभक्ति कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सोमेशवर्द्धन सिंह, सुरजीत सिंह, सोनू सिंह, सुशील चौरसिया, दीपक तिवारी, तेज प्रताप सिंह, कमलनयन आदि ने भाग लिया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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