समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने एक बयान में कहा है कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ बसपा सरकार को सिर्फ अपने निजी एजेंन्डा को पूरा करने की जल्दी है। प्रदेश के विकास से उसका कोई नाता रिश्ता नहीं है। मुख्यमन्त्री को सिर्फ हाथियों के बीच अपनी प्रतिमाएं लगाने का ‘ाौक है जो प्रदेश के वित्तीय संसाधनों पर भारी पड़ रहा है। केन्द्र सरकार में कृिशमन्त्री का ध्यान अपने विभाग पर कम क्रिकेट पर ज्यादा रहता है। खाद्य निगम अफसरशाही का शिकार हो गया है। मंहगाई पर केन्द्र की कांग्रेस सरकार से मिलीभगत अब जगजाहिर हो चुकी है। ऐसे में गेहूं की सड़न तथा बबाZदी जैसा गम्भीर अपराध हो रहा है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। प्रदेश का मुख्य व्यवसाय कृिश होने के बावजूद किसान उपेक्षित है।, उनके उत्पादों के भण्डारण की उचित व्यवस्था नहीं है। इससे प्रतिवशZ लगभग 30 प्रतिशत खाद्यान्न, सब्जियां तथा फल बबाZद हो जाते हैं।
श्री चौधरी ने कहा कि प्रदेश सरकार की अक्षम्य लापरवाही का नतीजा है कि पंजाब-हरियाणा से बड़ी मात्रा में गेहूं तो मंगा लिया गया पर उसके सुरक्षित रख-रखाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई। बरसात के इन दिनों में बाहर रखा गेहूं सड़ने लगा तो कई जगह उसे गड्ढोें में दबा दिया गया या ऐसे ही ख्ुाले में फैलने दिया गया। मुख्यमन्त्री मायावती इस लापरवाही के लिए किसी और एजेंन्सी को दोश नहीं दे सकती हैं। उनके कार्यकाल में गरीबों को सस्ते गल्ले की राशन वितरण व्यवस्था ठप्प हो गई है। अन्त्योदय योजना के पात्रों को कोटेदारों से राशन नहीं मिल पा रहा है। अन्न की इस बबाZदी का असर उन गरीबों पर और ज्यादा पड़ेगा जो बेचारे एक वक्त भी भरपेट रोटी नहीं पाते हैं। खाद्य पदार्थो की मुद्रास्फीति दर जुलाई के पहले पखवारे में 12.62 प्रतिशत से हफ्ते भर में 12.18 फीसदी हो गई है। प्रदेश में यदि 4 लाख वोरा अनाज सड़ गया तो इसका मतलब है कि 20 करोड़ लोगों का एक दिन का भोजन सड़ गया है।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि गोदामों के बाहर गेहूं सड़ानेवाले अफसरों पर कार्यवाही के नाम पर निलम्बन जैसी दिखावटी कार्यवाहियां हो रही हैं। निलम्बन कोई सजा नहीं है। यह तो दागदार को बचाने और जनता का ध्यान अपनी लापरवाही से हटाने का एक पुराना नुस्खा है। सच तो यह है कि प्रदेश की सरकार और केन्द्र की कांग्रेस सरकार दोनों ही किसानों को सम्मान, सुरक्षा और उचित मुनाफा देनेे से परहेज करती हैं। वे कृिश उत्पादों की बबाZदी करके मंहगाई बढ़ाने का बहाना खोजती हैं ताकि जनता परेशान रहे। इसमें जमाखोर चान्दी काटते हैं और उनसे भारी कमीशन की वसूली होती है। मुख्यमन्त्री के घर नोट गिनने की मशीनों की वर्ना फिर क्या आवश्यकता और उपयोगिता रह जाएगीर्षोर्षो
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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