समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा जबकि उत्तर प्रदेश बिजली संकट से जूझ रहा है, इसकी औद्योगिक प्रगति अवरूद्ध है, मायावती सरकार पावर कारपोरेशन को घाटे में डालने की सुनियोजित साजिश कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा विद्युत इकाइयां निजी क्षेत्र को बेचकर अपने मुनाफे का धंधा बरकरार रखा जाए। इसमें कार्यरत अभियन्ताओं और दूसरे कर्मचारियों को मुख्यमन्त्री के लूट के खेल में शामिल न होने के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी अपनी यह मांग दुहराती है कि प्रदेश की विद्युत स्थिति, पावर कापोरेशन के कामकाज और इसमें घोटाले की एक उच्च स्तरीय जॉच होनी चाहिए और बाकायदा एक श्वेतपत्र जारी किया जाना चाहिए।
विद्युूत क्षेत्र को बसपा सरकार ने अपने घर की खेती मान लिया है। सरकार की गलत नीतियों के चलते विद्युत आपूर्ति और मांग का अन्तर कम नहीं हो रहा है और बाहर से बिजली आयात का बिल बढ़ता ही जा रहा है। अभियन्ताओं को योग्यतानुसार जिम्मेदारी के पद दिए जाने की जगह जाति आधारित नए-नए संगठन बनवाए जा रहे हैं। नतीजतन प्रदेश की विद्युत इकाइयां रख-रखाव में कमी या तकनीकी कमियों के चलते बन्द होती जा रही है। गांवों और जनपदों में घंटो की जगह अब कई दिनों तक बिजली गायब रहने लगी है। सिंचाई के लिए बिजली का अकाल है।
प्रदेश में औद्योगिक विकास बिजली संकट की वजह से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। बाहर पूंजी निवेश में इसीलिए उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है। विद्युत अभियन्ता इस बात से बहुत क्षुब्ध है कि यह सरकार अपनी गलतियां सुधारने के बजाए हर मर्ज की दवा निजी क्षेत्र को मान रही है। फ्रेंचाइजी के माध्यम से कानपुर और आगरा में बिजली का ठेका निजी कंपनियों के सुपुर्द किया जाना तय है। कानपुर में बिजली कंपनी केस्को मुनाफे में है उसे निजी क्षेत्र को सौपने का विरोध हो रहा है और विद्युत अभियन्ताओं तथा कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का इरादा भी जता दिया है। इनकी यह आशंका सही है कि मायावती सरकार की इस नीति के चलते केवल घाटे वाले क्षेत्र ही पावर कारपोरेशन के पास रह जाएगें और निजी क्षेत्र वाले मुनाफा लूटने का काम करेगें।
सच बात तो यह है कि उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार सिर्फ लूट और वसूली से अपनी तिजोरियां भरने को ही विकास का मानक मानती है। मुख्यमन्त्री को आय से अधिक अपनी संपत्ति बढ़ाने का शौक है। उसके लिए वे चीनी मिलें, कताई मिलें, बिजली के सभी केन्द्र बेचने को तैयार हैंर्षोर्षो आम जनता को मंहगाई से बचाने के लिए उनसे पेट्रोल डीजल पर वैट हटाने को कहा जा रहा है, वह नहीं सुन रही है। किसानों को उचित मुआवजा देना उन्हें नापसन्द है। लेकिन मुनाफाखोरों और जमाखोरों पर वे पूरी तरह मेहरबान हैं। ऐसी नाकारा सरकार के दिन अब गिनेचुने हैं। जनता उनसे ऊब चुकी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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