उत्तर प्रदेष की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने गत 12 जुलाई को हुई इलाहाबाद की घटना के सम्बंध में विरोधी पार्टियों द्वारा की जा रही बयानबाजी को दुर्भाग्यपूर्ण और घटिया राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि अपराधी तत्वों द्वारा की गई घटना को लेकर राजनीति करने के पहले इन सभी विरोधी पार्टियों के नेताओं को पहले अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा अपराधियों एवं माफियाओं के विरूद्ध ठोस कार्यवाही की गई है। पूरे प्रदेष में उनकी सरकार द्वारा अब तक माफियाओं तथा आपराधिक तत्वों द्वारा आपराधिक गतिविधियों से अर्जित की गई 233 करोड़ रूपये से अधिक की अवैध सम्पत्ति को जब्त किया जा चुका है। इससे माफियाओं एवं अपराधियों में काफी हड़कम्प मचा है, जिससे बौखलाकर अपराधियों ने इलाहाबाद की घटना को अंजाम दिया।
मुख्यमन्त्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर मीडिया प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद के माफिया श्री अतीक अहमद, श्री विजय मिश्रा तथा अन्य आपराधिक तत्वों द्वारा आपराधिक कृत्य करके, जो सम्पत्ति अर्जित की गई थी, उसे सरकार द्वारा विधिक कार्यवाही कर जब्त किया गया। श्री दिलीप मिश्रा की 4.16 करोड़ रूपये की सम्पत्ति तथा श्री विजय मिश्रा की 6.20 करोड़ रूपये की सम्पत्ति इलाहाबाद प्रषासन द्वारा कुर्क की गई है।
सुश्री मायावती ने कहा कि श्री नन्दी के साथ हुई वारदात के बाद पुलिस ने रात-दिन मेहनत करके दो दिनों में ही इस वारदात में षामिल नामजद अभियुक्तों श्री कृपा षंकर पाण्डेय उर्फ कृपानन्द पाण्डेय व श्री राजेष यादव को गिरतार करने में कामयाबी हासिल की। उन्होंने पुलिस विभाग के सभी छोटे-बड़े अधिकारियों को अब तक इस सम्बन्ध में की गई कार्यवाही की प्रषंसा की है। उन्होंने कहा कि पकड़े गये इन दोनों अभियुक्तों ने स्वीकार किया है कि ये श्री दिलीप मिश्रा के साथी हैं तथा उनके कहने पर ही उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया। अभियुक्तों ने यह भी बताया कि श्री दिलीप मिश्रा के साले श्री मनोज कुमार पाण्डेय एवं श्री जितेन्द्र पाण्डेय, महेन्द्र कुमार मिश्रा, पुरूशोत्तम दूबे एवं राजेष पायलट इस घटना में उनके सहयोगी हैं। दोनो अभियुक्तों ने यह भी जानकारी दी की दिलीप मिश्रा ने उन्हें बताया था कि उसने विधायक श्री विजय मिश्रा से भी इस सम्बन्ध में वार्ता कर ली है।
मुख्यमन्त्री ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि 12 जुलाई को जैसे ही उन्हें इलाहाबाद की घटना की जानकारी मिली। उन्होंनेे इसे बेहद गम्भीरता से लेते हुए प्रदेष के वरिश्ठ अधिकारियों की तुरन्त एक बैठक बुलाकर उनसे इस मामले में पूरी जानकारी ली और प्रमुख सचिव गृह तथा पुलिस महानिदेषक को तत्काल इलाहाबाद जाने के निर्देष दिये। उन्होंने कहा कि इन दोनों वरिश्ठ अधिकारियों को यह भी निर्देष दिए गए थे कि वे मौके पर जाकर पूरे मामले की गम्भीरता से छानबीन करें और जिन अपराधी तत्वों का भी हाथ इस वारदात में हो, उनके विरूद्ध सख्त कानूनी कार्यवाही सुनििष्चत करें।
सुश्री मायावती ने कहा कि सन् 2007 में विधान सभा के आम चुनाव में इलाहाबाद दक्षिण से श्री नन्द गोपाल गुप्ता उर्फ नन्दी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याषी घोशित किए गए थे। उन्होंने कहा कि चुनाव से कुछ दिन पहले ही ब्लाक प्रमुख, चाका, इलाहाबाद श्री दिलीप मिश्रा ने श्री नन्दी को हतोत्साहित करने एवं उनका मनोबल तोड़ने के लिए उनकी पिटाई की, ताकि वह चुनाव न लड़े। उन्होंने कहा कि यह दु:ख की बात है कि उस समय पूर्ववर्ती सपा सरकार द्वारा इस गुण्डागदीZ के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई और न ही श्री नन्दी को कोई मुकदमा दर्ज करने दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि श्री दिलीप मिश्रा सपा के भदोहीं के विधायक श्री विजय मिश्रा के करीबी रिष्तेदार हैं।
मुख्यमन्त्री ने श्री दिलीप मिश्रा तथा श्री विजय मिश्रा पर दर्ज आपराधिक मुकदमों की जानकारी देते हुए बताया कि श्री दिलीप के विरूद्ध लगभग 30 तथा श्री विजय मिश्रा के विरूद्ध 58 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। श्री दिलीप मिश्रा पर 1991 से 2003 के मध्य 13 आपराधिक मुकदमें दर्ज हुए और 2004 से 2007 के मध्य कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। पुन: मई 2007 से 2010 के मध्य 17 मुकदमें दर्ज हुए। इसी प्रकार श्री विजय मिश्रा पर 1977 से 2003 तक 45 मुकदमें तथा 2004 से 2007 के मध्य एक मुकदमा एवं मई, 2007 से अब तक 14 आपराधिक मुकदमें दर्ज हुए हैं। उन्होंने कहा कि श्री विजय मिश्रा के विरूद्ध 2004 से 2007 के मध्य, जो एक मुकदमा दर्ज किया गया, वह भी माननीय न्यायालय के आदेष से दर्ज हुआ तथा इसी अवधि में श्री विजय मिश्रा पर दर्ज छ: मुकदमों को तत्कालीन सपा सरकार ने वापस ले लिया।
सुश्री मायावती ने कहा कि उन्हें जानकारी दी गई है कि सपा के विधायक श्री विजय मिश्रा की दिल्ली के जसोला क्षेत्र में लगभग 50 करोड़ रूपये की कीमत की अवैध सम्पत्ति है। यह भी सम्भावना बतायी गई है कि इसी काम्पलेक्स में सपा के एक वरिश्ठ नेता की भी सम्पत्ति है। उन्होंने कहा कि इससे स्पश्ट है कि सपा की पूरी पार्टी का सम्बन्ध एवं संरक्षण श्री विजय मिश्रा जैसे अपराधियों से है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि सपा के षासनकाल के दौरान पूरे राज्य में जंगलराज एवं गुण्डाराज कायम था और अपराधियों के हौसले इतने बुलन्द हो गये थे कि आम आदमी का जीना बहुत ज्यादा मुिष्कल हो गया था। इसके साथ ही, सपा के बड़े नेता से लेकर छोटे नेता तक अपराधियों के विरूद्ध कार्यवाही करने के बजाय अपराधियों को बचाने और उनको संरक्षण देने में लगे रहे। इस दौरान प्रदेष में स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो गई थी कि सपा के गुण्डों एवं माफियाओं के दबाव में आम पीड़ित लोगों की एफ0आई0आर0 तक भी लिखी जानी बन्द हो गई थी।
सुश्री मायावती ने कहा कि ऐसी स्थिति में मई, 2007 में सत्ता सम्भालने के तुरन्त बाद प्रदेष में ध्वस्त पड़ी कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने को हमारी सरकार ने सर्वाेच्च प्राथमिकता दी। उनकी सरकार ने सत्ता में आते ही अपराधियों, माफियाओं तथा असामाजिक तत्वों के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। इस बारे में सबसे पहले उन्होंने वरिश्ठ अधिकारियों को यह निर्देष दिए कि जिन लोगों के मुकदमें सपा सरकार के कार्यकाल में दर्ज नहीं किए गये थे, उन सभी पीड़ित लोगों के मुकदमें एक विषेश अभियान चलाकर दर्ज कराये जायें। इसके फलस्वरूप लगभग दस हजार मुकदमें दर्ज हुए।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि प्रदेष में बी0एस0पी0 की सरकार बनते ही उन्होंने पुलिस प्रषासन को यह भी निर्देष दिए थे कि कानून व्यवस्था में सुधार का आकलन दर्ज एफ0आई0आर0 की संख्या के आधार पर नहीं, बल्कि कुल दर्ज की गई एफ0आई0आर0 पर कितनी कार्यवाही की गई, उसके आधार पर किया जायेगा। जबकि पूर्ववर्ती अन्य सभी पार्टियों की सरकारों के कार्यकाल में ऐसा नहीं होता था। इसलिए आज यही विरोधी पार्टियां बी0एस0पी0 सरकार के कार्यकाल में बिना किसी कठिनाई के थानों में दर्ज हो रही प्रथम सूचना रिपोटोZं की संख्या को आधार बनाकर उनकी सरकार के कार्यकाल में अपराध बढ़ने का आरोप लगा रही हैं। विरोधी पार्टियों का यह रवैया न केवल षर्मनाक है बल्कि इनका यह रवैया यह भी स्पश्ट करता है कि यह पार्टियां किस स्तर तक जाकर और झूठे तथ्यों का सहारा लेकर बी0एस0पी0 सरकार की छवि धूमिल करने का षर्मनाक प्रयास कर रही हैं।
सुश्री मायावती ने कहा कि समय-समय पर सत्ता में रही सभी विरोधी पार्टियों की सरकारों के षासनकाल में भी तमाम तरह की आपराधिक घटनायें होती रहीं हैं। अगर इन पार्टियों के षासनकाल में घटित आपराधिक घटनायें जंगलराज की प्रतीक नहीं थी, तो इलाहाबाद में घटित हुई घटना का उदाहरण देकर प्रदेष में जंगलराज होने की बात करना कहां तक न्यायसंगत है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि इस प्रकार के गैर जिम्मेदाराना बयान देने से पहले इन विरोधी पार्टियों को देष में लोकतन्त्र के प्रतीक संसद भवन पर आतंकवादियों के हमले और मुम्बई में घटित हुई आतंकवादी घटनाओं और उनमें हुए जानमाल के नुकसान को भी जरूर याद कर लेना चाहिए था। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि कांग्रेस के षासनकाल में तत्कालीन रेल मन्त्री श्री ललित नारायण मिश्र की बिहार में बम विस्फोट में हुई मृत्यु के समय क्या देष में जंगलराज कायम था और क्या श्रीमती इन्दिरा गांधी के प्रधानमन्त्री रहते हुए उन्हीं के आवास पर उनकी हत्या के समय देष की सत्ता पर काबिज कांग्रेस पार्टी के राज में पूरी अराजकता व्याप्त थी। इसी तरह वर्श 1984 के दंगों में निर्दोश सिक्खों की खुलेआम हत्या की गईं और केन्द्र में कांग्रेस सरकार के रहते हुए कई दिनों तक देष की राजधानी में अराजकता का माहौल था। तब किसी कांग्रेस पार्टी के नेता को यह सब क्यों नहीं दिखा। इसी के साथ पिछले एक वर्श के दौरान कई राज्यों में घटित हुई नक्सली हिंसा में सैकड़ों मारे गये सुरक्षा कर्मियों के मामले से ऐसा लगता है इन विरोधी पार्टियों के नेताओं ने अपनी ऑख ही बन्द कर रखी है।
सुश्री मायावती ने कहा कि इसी तरह कांग्रेस पार्टी के नेताओं को अपना मुंह खोलने से पहले तत्कालीन मुख्यमन्त्री श्री विष्वनाथ प्रताप सिंह के कार्यकाल के दौरान उनके बड़े भाई जो मा0 उच्च न्यायालय में न्यायाधीष थे, की हत्या घटना को याद कर लेना चाहिए। यही नहीं, श्री सिंह एवं श्री ललित नारायण मिश्र के हत्यारों का तो आज तक भी पता नहीं लग सका है और इन अपराधों में लिप्त लोगों को उनके किए की सजा दिला पाने में कांग्रेस पार्टी की सरकारें पूरी तरह से विफल रहीं हैं। इस मामले में अन्य विरोधी पार्टियों का भी यही रूख बना रहा। उन्होंने कहा कि सपा के षासनकाल में इलाहाबाद में ही बी0एस0पी0 के विधायक श्री राजू पाल की खुलेआम सरकारी संरक्षण में दिन-दहाड़े हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के लिए जिम्मेदार अपराधियों को बचाने के लिए तत्कालीन पूरी सरकार लगी रही। इसी प्रकार सपा के षासनकाल में भाजपा विधायक श्री कृष्णा नन्द राय, विधान परिषद सदस्य श्री अजीत सिंह, भाजपा के पूर्व सांसद श्री लक्ष्मी नारायण मणि त्रिपाठी एवं पूर्व विधायक चौधरी मलखान सिंह की जघन्य हत्या हुई थी। इसके अलावा 06 मार्च, 2002 को राजभवन के सामने धरना-प्रदर्शन के दौरान दिन-दहाड़े बरेली के सपा विधायक श्री मंजूर अहमद की हत्या की गई थी, उस समय प्रदेष में राश्ट्रपति षासन लागू था।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि वर्ष 1991 से लेकर 2005 के मध्य एक सांसद, 18 विधायक एवं राजनैतिक दलों के 38 पदाधिकारियों की हत्या हुई तथा 42 हत्या के प्रयास हुए। सपा सरकार में 2003 से 2007 तक एक पूर्व सांसद, तीन विधायक, एक पूर्व विधायक तथा राजनैतिक दलों के 13 पदाधिकारियों की हत्या हुई। जबकि इसके विपरीत बी0एस0पी0 षासन के कार्यकाल में यदि किसी भी व्यक्ति ने, चाहे वह जितना भी प्रभावषाली क्यों न हो, कानून को अपने हाथ में लेने की कोषिष की तो उसे अपने किए की सजा भुगतनी पड़ी है जैसा कि हाल ही में पूर्व विधायक श्री कपिल देव यादव की हत्या के मामले से साफ है।
सुश्री मायावती ने कहा कि बी0एस0पी0 सरकार के मन्त्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता “नन्दी“ वैष्य समाज के प्रभावषाली युवा नेता हैं, जिन्होंने कांग्रेस की प्रदेष अध्यक्ष श्रीमती रीता बहुगुणा जोषी, प्रदेष के पूर्व विधान सभा अध्यक्ष श्री केषरी नाथ त्रिपाठी जैसे दिग्गज नेताओं को चुनाव में हराकर बहुत कम समय में लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई है। इस चुनाव में सपा के उम्मीदवार को श्री नन्दी ने बुरी तरह से पराजित किया। उन्होंने कहा कि इसे देखकर उन्हें ऐसा लगता है कि श्री नन्दी की इस कामयाबी से बौखला कर ही इन आपराधिक तत्वों द्वारा यह जघन्य अपराध किया गया है जिसका खामियाजा उन्हें नििष्चत रूप से भुगतना पड़ेगा।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि उन्हें अपने पुलिस प्रषासन पर पूरा भरोसा है कि इस घटना में लिप्त अन्य लोगों को जल्द ही गिरतार कर लिया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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