शिवपाल सिंह यादव, नेता विरोधी दल ने कहा मुख्यमन्त्री मायावती ने जॉच की कार्यवाही पूरी हुए बिना ही संस्थागत वित्तमन्त्री नन्दी पर हमले में समाजवादी पार्टी को दोषी ठहराकर अपनी पार्टी के अन्दरूनी झगड़ों पर पर्दा डालने और असली अपराधियों को बचाने का काम किया है। अपराधी खुद उनकी पार्टी के हैं। यह तथ्य छिपाकर वह न्याय की मूल धारणा से खेल रही हैं। समाजवादी पार्टी के प्रति मायावती सरकार पहले दिन से ही विद्वेष भावना से काम करने लगी थी। तीन सालों में उसने हजारों समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं पर फर्जी मुकदमें लगाकर उत्पीड़न की कार्यवाही की है। समाजवादी पार्टी के कई पदाधिकारियों के खिलाफ गम्भीर धाराएं लगाकर उन्हें समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ने के लिए मजबूर किया और अभी भी इसमें जुटी है।
समाजवादी पार्टी ने पहले ही आशंका जताई थी कि संस्थागत वित्तमन्त्री श्री नन्द गोपाल नन्दी पर हमले के मामले में भी समाजवादी पार्टी नेताओं को अभियुक्त बनाए जाने की साजिशें होगी क्योंकि मायावती और उनके इशारे पर जिला प्रशासन के तमाम दबावों और धमकियों के बावजूद भदोही के समाजवादी पार्टी विधायक ने उनके समक्ष समर्पण नहीं किया है। यह आशंका सच हो गई है। बसपा मन्त्री के चरित्र की बिना छानबीन किए राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता के नाम पर समाजवादी पार्टी विधायक के परिवारीजनों का उत्पीड़न कर कानून का मजाक बनाया जा रहा है। पुलिस की छानबीन में बम विस्फोट या हमले की मुख्य वजहों तथा उसके पीछे की कार्यवाहियों का कोई खुलासा नहीं है। पुलिस अभी अंधेरे में ही तीर चला रही थी परन्तु मुख्यमन्त्री के इशारे पर चटपट जॉच का परिणाम सार्वजनिक कर दिया गया। हत्याओं और लूट की घटनाओं की तफ्तीश महीनों में भी पूरा न कर पाने वाली पुलिस ने इस पेचीदा मामले को बिना देर लगाए निपटा दिया।
बसपा छंटे-छंटाए अपराधियों की अपनी पार्टी है। इनको पार्टी के संगठन और सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया गया है। बसपा के सत्ता में आने के बाद से लगभग 2 हजार लोग मारे जा चुके हैं। समाजवादी पार्टी के 30 नेता-जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी मारे जा चुके हैं। मुख्यमन्त्री ने अपनी पार्टी से 500 अपराधियों को निकालने की बात कही थी, वह सूची आज तक जारी नहीं हुई है।
समाजवादी पार्टी का यह स्पष्ट मानना है कि इस मामले के बहाने मुख्यमन्त्री समाजवादी पार्टी को बदनाम करना चाहती हैं। वे प्रतिहिंसा की भावना से जबरन फंसाना चाहती हैं। दरअसल बसपा में लूट में साझे की अन्दरूनी लड़ाई और माफियाओं की आपसी जंग के चलते कानून व्यवस्था बिगड़ रही है। इस मामले में इन वजहों की भी तहकीकात की जानी चाहिए। मुख्यमन्त्री के सत्ता में रहते किसी काण्ड की निष्पक्ष जॉच सम्भव नहीं है। अत: सीबीआई को इस मामले की जॉच सौपी जाए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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