बसपा के महंगाई विरोधी आन्दोलन को सरासर धोखाधड़ी और आम जनता को मूर्ख बनाने वाली नौटंकी बताते हुए प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष प्रवक्ता हृदयनारायण दीक्षित ने आज शुक्रवार को सीधे मुख्यमन्त्री मायावती से ही सवाल पूछा कि बसपा अगर महंगाई बढ़ाने के लिये केन्द्र सरकार को दोषी मानती है तो केन्द्र सरकार से अपना समर्थन वापस क्यों नहीं लेतीर्षोर्षो बसपा केन्द्र से पहले समर्थन वापस ले तब केन्द्र सरकार के विरूद्ध आन्दोलन करे। यारी और दुश्मनी एक साथ नहीं चलती। बसपा ने महंगाई के विरोध में भाजपा व अन्य दलों द्वारा लोकसभा में लाये गये कटौती प्रस्ताव के विरोध में व केन्द्र सरकार के पक्ष में मतदान किया था। केन्द्र सरकार बसपा व सपा जैसे दलों के समर्थन से ही पेट्रोल, डीजल, किरासिन व रसोई गैस के दाम बढ़ाने की ताकत में है।
श्री दीक्षित ने पूछा है कि बसपा को अगर अब भी अकल आ गई हो तो क्या लोकसभा के आगामी सत्र में वह केन्द्र सरकार की महंगाई बढ़ाऊ व पेट्रो पदार्थो की मूल्यवृद्धि के विरूद्ध मतदान करेगीर्षोर्षो बसपा ने मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में महंगाई विरोधी प्रदर्शन के दौरान स्थानीय राज्य सरकारों को भी दोषी ठहराया है। प्रदेश की बसपा सरकार भी उसी तरह केन्द्र के साथ-साथ राज्य में महंगाई बढ़ाने की जिम्मेदार है और अभियुक्त है। बसपा का महंगाई विरोध ईमानदार नहीं है। इसे राजनैतिक भी नहीं कहा जा सकता। राजनैतिक विरोध के लिये भी राजनैतिक इच्छाशक्ति और साहस की जरूरत होती है। बसपा में राजनैतिक इच्छाशक्ति और ईमानदारी का अभाव है। ऐसे में उसका महंगाई विरोध हाथी के दान्तो जैसा है। हाथी के दान्त दिखाने के और होते हैं, खाने के और। महंगाई के प्रश्न पर केवल भाजपा ही ईमानदारी से संघर्ष कर रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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