समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने एक बयान में कहा उत्तर प्रदेश में सुश्री मायावती की सरकार में गरीब सबसे ज्यादा उपेक्षित है। सरकार उनके प्रति पूर्णतया संवेदनाशून्य है। गरीबों के नाम पर चलनेवाली तमाम योजनाएं सिर्फ फाइलों में ही चल रही हैं वास्तविकता में गरीबों को उनसे कोई फायदा नहीं हो रहा है। उल्टे गरीबों की झोपड़ियां उजाड़ने का काम तेजी पर है। कई पीढ़ियों से झुिग्गयों की बस्ती में रहनेवालों को विदेशी बंाग्लादेशी बताकर उत्पीड़न हो रहा है। ऐसा लगता है कि जैसे दलित की बेटी का दलित उत्पीड़न से कोई वास्ता नहीं है वैसे ही उन्हें गरीबों से भी चिढ़ है। गरीब का पैसा भी इनके ऐश्वर्य की भेंट चढ़ गया है।
श्री चौधरी ने कहा कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए, जो बी0पी0एल0 सूची में दर्ज नहीं हैं, महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना का बहुत प्रचार किया गया। इसमें लाभार्थी को तीन सौ रूपए मिलने थे। यह योजना अब तक लाभािथ्Zायों की चयन प्रक्रिया शुरू न होने से हवाहवाई बनी हुई है। तय समय में कुछ भी नहीं होने से गरीब कल की तरह आज भी मजबूर बना हुआ है। इसी तरह गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों को उत्तम स्वास्थ्य सेवाएं दिलाने के लिए स्मार्ट कार्ड योजना में भी नौकरशाही ने अड़ंगें डाल रखे हैं। जिन थोड़े लोगों के कार्ड बन भी गए है उन्हें किसी न किसी बहाने दौड़ाया जाता है।
समाजवादी पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि अल्पसंख्यक और पिछडे़ वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति का वितरण भी प्रदेश में निर्धारित समय सीमा के भीतर नहीं हो रहा है। इसमें नौकरशाही और दलालों की मिलीभगत से घोटाले किए जा रहे हैं। सरकार की गरीबों के प्रति इतनी ही दिखावटी हमददीZ है कि उसने गरीब परिवारों की पुत्रियों की शादी के लिए अनुदान योजना में 6 करोड़ रूपए तो रख दिए लेकिन अब तक आधी रकम से भी कम बांटी गई है। विधवा पेंशन के लिए तमाम जनपदों में आवेदन पत्रों के ढेर लगे हैं, उनपर विचार ही नहीं हो रहा है। इन्दिरा आवास योजना के आवंटन में पात्र कम, अपात्र ज्यादा लाभ पा रहे हैं।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि श्री मुलायम सिंह यादव के मुख्यमन्त्रित्वकाल में समाजवादी पार्टी की सरकार ने नक्सली प्रभावित क्षेत्रों में विकास और संवाद की नीति चलाई थी जिससे वहां शान्ति स्थापित हो गई थी। अम्बेडकर ग्राम योजना भी समाजवादी पार्टी की देन है। मायावती के राज में अंबेडकर के नाम के साथ मजाक हो रहा है। अब नक्सली क्षेत्र के गांव अंबेडकर ग्राम घोषित कर मुख्यमन्त्री ने अपनी जिम्मेदारी टालने और जनता को भरमाने का काम किया है। इससे स्थिति में सुधार के बजाए और ज्यादा गड़बड़ी तथा अशान्ति होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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