उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार की मुखिया की हठधर्मिता के चलते आज समूचा उ0प्र0 बिजली के लिए त्राहि-त्राहि कर रहा है, ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा अपने राजनैतिक स्वार्थ के चलते विवाद पैदा करना एवं इसी विवाद के चलते एनटीपीसी द्वारा 4000मेगावाट का बिजली संयन्त्र उ0प्र0 की बजाय मध्य प्रदेश में लगाया जाना उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार की जनता के हितों के साथ किया जा रहा कुठाराघात है।
प्रदेश कंाग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुबोध श्रीवास्तव ने आज यहां जारी बयान में कहा कि आज उ0प्र0 बिजली संकट से जूझ रहा है। किसान खेतों की सिंचाई के लिए परेशान हैं। शहर के लोग इस तपिश भरी गर्मी में बदहाल हैं, पेयजल की घोर किल्लत है। बुन्देलखण्ड के किसान और आम नागरिक सूखे की मार से बेहाल और परेशान हैें। इस स्थिति में यदि बुन्देलखण्ड में एनटीपीसी का यह बिजली संयन्त्र लगता और कम से कम 2000मेगावाट बिजली प्रदेश को मिलती तो कुछ हद तक बिजली की परेशान से निजात मिल सकती थी किन्तु यह योजना लगभग 2 से 3 वर्ष में तैयार होती और मौजूदा बसपा सरकार तब तक सत्ता से हट चुकी होती, इसी राजनीतिक चाल के चलते विवाद पैदा कर इस संयन्त्र को उ0प्र0 से बाहर मध्य प्रदेश मेें लगने को मजबूर किया गया।
मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमन्त्री डॉ0 मनमोहन सिंह की इच्छा थी कि इस बिजली संयन्त्र को बुन्देलखण्ड क्षेत्र में लगाया जाये ताकि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सिंचाई एवं पेयजल की समस्या को दूर किया जा सके। नियमत: बिजली संयन्त्र द्वारा उत्पादित बिजली का 50प्रतिशत बिजली उत्पादन ही प्रदेश को मिल सकता है। इसके लिए प्रदेश सरकार न तो जमीन और न ही पानी उपलब्ध कराने के लिए राजी थी। राज्य सरकार ने अव्यवहारिक रूप से पूरे बिजली उत्पादन की मांग रखने के साथ ही इस परियोजना को उ0प्र0 विद्युत निगम लि. के साथ संयुक्त उपक्रम में लगाये जाने की शर्त रखी, अन्तत: उक्त बिजली परियोजना उ0प्र0 सरकार की इसी जनविरोधी सोच के चलते उत्तर प्रदेश के हाथ से निकल गई। अब यह संयन्त्र मध्य प्रदेश के बारेठी में लगायी जायेगी।
श्री श्रीवास्तव ने कहा कि यदि यह बिजली संयन्त्र बुन्देलखण्ड में लगता तो सूखे की मार से जूझ रहे बुन्देलखण्ड में कम से कम 5हजार लोगों को रोजगार मिलता। बुन्देलखण्ड में पानी की समस्या दूर होती तथा बिजली मिलने से उद्योग धंधे लगने से रोजगार के अवसर विकसित होते। चूंकि बसपा मुखिया सुश्री मायावती यह मान चुकी हैं कि उन्हें दुबारा सत्ता में नहीं आना है इसलिए इसका राजनैतिक लाभ किसी दूसरी सरकार को मिले इसलिए प्रदेश सरकार ने ऐसा निर्णय लिया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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