स्तनपान है वरदान
मां का दूध बच्चों के जीवन की रक्षा करता है और उनको कुपोशण से दूर रखता है। स्तनपान बच्चों में कुपोशण कम करने के लिए सबसे कारगर और महत्वपूर्ण उपाय है।
मॉं का दूध बच्चे के मानसिक व ‘ाारीरिक विकास के लिए अति आवश्यक है। मॉं द्वारा बच्चे के जन्म के बाद जल्द से जल्द स्तनपान कराने, छह माह तक केवल स्तनपान कराने और कम से कम दो साल तक लगातार स्तनपान कराने सेे बच्चों को कुपोशण से बचाया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश में कुपोशण एक गम्भीर समस्या है। अनुमानता: हर दो बच्चों में से एक कुपोिशत होता है और पॉंच बच्चे में से एक अति कुपोिशत होता है। 1000 की जनसंख्या में अनुमानता: 120 बच्चे पांच वशZ की आयु के होते है। इनमें से लगभग 50 बच्चे कुपोिशत और इन 50 बच्चों में 8-9 अति कुपोिशत होते है। कुपोशण अनुपयुक्त आहार और जन्म के समय शिशु का वजन कम होने के कारण होता है। किसी भी बच्चे का पोशण स्तर उसकी आयु के अनुरुप उसके वजन से पता चलता है।
मीडिया नेस्ट द्वारा यूनीसेफ के सहयोग से आयोजित `चिल्ड्रन ऑवर´ में आज यहां यू पी प्रेस क्लब में शिशु आहार पर बोलते हुए गोरखपुर के बाल विशेपज्ञ पी के कुशवाहा ने कहा कि जन्म लेने वाले आधे बच्चे कुपोपण से मर जाते है। कुपोशण से निपटने के लिए स्तनपान आवश्यक है और यह एक अमूल्य निधि है। मॉं का दूध टीकाकरण की तरह बच्चों को रोग से बचाता है।
सरकार भी 3 साल के बच्चों के लिए कार्यक्रम बनाती है और 0 से 3 साल के बच्चों के लिए कोई कार्यक्रम ही नहीं है जबकि सबसे ज्यादा बच्चों की मौतें 0 से 3 साल के बीच में ही होती है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षित स्तनपान का प्रशिक्षण देकर शिशु मृत्यु दर को 67 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत किया जा सकता है। डाक्टर कुशवाहा ने ललितपुर का उदाहरण देते हुए बताया कि इस जिले में डाक्टर, एनम और स्वयं सेवी संगठनों के सहयोग से 930 गांवों में 28 हजार महिलाओं को प्रशिक्षित करके शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 40 हो गई है। उन्होंने कहा कि बाल स्वास्थ्य पोपण, कुपोपण और शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए स्पप्ट नीति होना चाहिए। बजट में प्रावधान होने के साथ-साथ जागरुकता कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए।
यूनीसेफ के अगस्टील वेलियथ ने कहा कि दुनिया के कुपोिशत बच्चों में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। बच्चों का मस्तिश्क दो साल में बनता है और हमारे सारे कार्यक्रम 3 साल के बाद के बनाए जाते है।
इस अवसर पर मीडिया नेस्ट की महामन्त्री और वरिष्ठ पत्रकार कुलसुम तल्हा ने कहा कि जागरुकता बढ़ाने में मीडिया अहम् भूमिका निभा सकती है और निभा भी रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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