समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने एक बयान में कहा है कि यह प्रचारित किया गया है कि मुख्यमन्त्री के नाम प्रतिदिन बड़ी संख्या में पत्र भेजे जाते हैंं जिनकी छंटाई के लिए लखनऊ के मुख्य डाकघर में एक विशेष सेल स्थापित किया गया है। इनकी आमद से प्रशासनिक व्यवस्था और मुख्यमन्त्री के सर्वजन सुखाय नारे की वास्तविकता का पता चलता है। इन पत्रों में फरियादियों की पुलिस, तहसील, कलेक्ट्रेट और विभिन्न विभागों में हो रहे उत्पीड़न, धांधली तथा लूट की शिकायतें होती हैं। स्पष्ट है कि इतने पत्रों के अंबार को न तो मुख्यमन्त्री पढ़ या देख सकती हैं और नहीं पंचमतल के व्यस्त अफसरान। नतीजे में इन्हें कूड़ेदान में ही जगह मिल सकती है। जो मुख्यमन्त्री से न्याय की आशा रखते हैं उन्हें अब पता चल जाएगा कि लम्बे इन्तजार के बाद भी कोई माकूल कार्यवाही क्यों नहीं हो पाती है या जिसकी शिकायत की थी उसके पास ही उसका पत्र कैसे पहुंच गया.
समाजवादी पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमन्त्री का जनता से कोई सरोकार नहीं रहा है। उन्हें सत्ता मिल गई तो वे उसके उपभोग और दुरूपयेाग दोनों की अधिकारी बन गई है। उनकी अपनी योजनाएं हैं जिन्हें वे निजी विकास के आईने में देखना पसन्द करती हैं। बड़े-बड़े पार्क, स्मारक और पत्थरों से गढ़ी अपनी प्रतिमाओं की जगह-जगह चौराहों पर स्थापना को ही प्रदेश के दलितों, वंचितों और गरीबों का विकास मानती हैं। इसके लिए वे जनता की गाढ़ी कमाई से वसूले गए टैक्स को बजट में ज्यादा से ज्यादा खर्च करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानती है।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि रोजाना पत्रों का आना सिद्ध करता है कि आम जनता की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। उसके दु:खदर्द पर मरहम लगाने वाला कोई तन्त्र सक्रिय नहीं है। जनपदों में घनघोर अराजकता है। प्रदेश की जनता संकट ग्रस्त है चाहे वह कानून व्यवस्था की स्थिति हो या बिजली, पानी का संकट हो। महिलाओं की इज्जत दिन में भी सुरक्षित नही। शाम होते अपराधी तत्वों का ही राज दिखाई देता है। प्रशासन के आला अफसर बसपा के एजेंट की भूमिका में काम करना ही अपना कर्तव्य मान बैठे हैं। जनता की तबाही के पीछे बसपा के मन्त्री विधायक हैं जो बलात्कार करके भी खुलेआम घूम रहे हैं। रहजन ही राज चला रहे हैं तो जनता के दु:खदर्द कौन सुनेगा.
श्री मुलायम सिंह यादव जब मुख्यमन्त्री थे तो जनता दर्शन में वे जनता से रूबरू होकर उनकी शिकायतें सुनते थे और त्वरित कार्यवाही के आदेश देते थे। फरियादियों के आवेदन पत्रों पर अधिकारियों को निर्णय के लिए निर्देशित करते थे। वर्तमान मुख्यमन्त्री को जनता से मिलने से ही एलर्जी है। वे अधिनायकशाही मनोवृत्ति की हैं। जनता को पत्र भेजने की बजाय अपने दु:खदर्दो से निजात पाने के लिए पहले प्रदेश की इस मायावती सरकार से ही मुक्ति पानी होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com