ऊसर एवं बीहड़ भूमि सुधार से खाद्यान्न उत्पादकता बढ़ेगी
सरकार गॉव-गिरांव के विकास के लिए प्रतिबद्ध
बीहड़ सुधार कार्यशाला सम्पन्न - रामपाल वर्मा -राज्य मन्त्री (स्वतन्त्र प्रभार)
भूमि सुधार निगम, सोडिक लैन्ड रिक्लेमेशन तृतीय परियोजना के अन्तर्गत बीहड़ सुधार के पाइलेट प्रोजेक्ट में रमाबाई नगर तथा फतेहपुर जनपद के चििन्हत ग्रामों के सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लघु तथा सीमान्त कृषकों के विकास हेतु सत्त प्रयासरत है। बीहड़ क्षेत्र में अनेक कठिनाईयॉ हैं। वहॉ पर कानून व्यवस्था ठीक हुई है। कृषि में विकास एवं सुधार के लिए प्रदेश सरकार विश्व बैंक के साथ मिलकर अच्छा कार्य करने को प्रतिबद्ध है। यह बात परती भूमि विकास राज्य मन्त्री (स्वतन्त्र प्रभार) श्री रामपाल वर्मा ने आज यहॉ होटल ताज में बीहड़ सुधार कार्यशाला का उद्घाटन कर अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि खेती किसानी की कारगर तकनीक को जन-जन तक पहुंचाया जाय। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि प्रदेश एवं खाद्यान्न उत्पादन बढे़गा।
श्री वर्मा ने कहा कि 967 करोड़ रूपये की विश्व बैंक सहायतित इस परियोजना से चयनित 25 जिलों में 1.30 लाख हेक्टेयर ऊसर भूमि तथा इन्हीं में दो जिलों की 5000 हेक्टेयर बीहड़ भूमि का सुधार होगा। जिससे इस क्षेत्र के लोगों को सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति बदल सकेगी। वर्ष 2009-10 से 31 दिसम्बर 2015 तक परियोजना अवधि में 2.40 लाख अभ्यार्थियों को लाभािन्वत किया जायेगा। उन्होंने विश्व बैंक के अधिकारियों को, गुणवत्तायुक्त कार्य होने के लिए आश्वस्त किया। उन्होंने खेती एवं पशुपालन की नई तकनीकी जानकारी से युक्त पत्रिका ´´भूमित्र´´ का विमोचन भी किया।
कृषि उत्पादन आयुकत श्री आर0केे0शर्मा ने कहा कि लाभार्थियों के सक्रिय सहयोग से परियोजना को वास्तविक धरातल पर उतारा जाय। निगम एवं किसानों के बीच अच्छा दो तरफ सम्वाद होना चाहिए। जिससे किसानों की आय तथा उत्पादकता बढ़े। उन्होंने कहा कि इससे बीहड़ क्षेत्र में आपराधिक गतिविधियॉ लगभग समाप्त होगी और क्षेत्रवासियों की दुश्वारियॉ घटेगी।
प्रमुख सचिव श्री योगेश कुमार ने कहा कि जनसंख्या बढ़ने के साथ खाद्यान्न की बढ़ोत्तरी आवश्यक हो गई है। भूमि सुधार की प्रथम एवं द्वितीय परियोजनाएं विश्व बैंक की नज़र में सफल रही है तभी तृतीय परियोजना के संचालन की घोषणा विश्व बैंक ने की है। उन्होंने कहा कि इससे लघु सीमान्त किसानों की गरीबी दूर होगी। कृषि, पंचायत राज, ग्राम्य विकास एवं पशुपालन मिलकर इस तरह प्रयास करें कि जो परिवार एक बार गरीबी रेखा से ऊपर उठ जायें, वह दुबारा गरीबी रेखा से नीचे न आयें।
विश्व बैंक के वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ डा0 पी0एस0सिद्धू ने इस बात पर बल दिया कि विश्व बैंक वित्त पोषित इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बीहड़ भूमि को कृषि योग्य बनाकर उसमें फसलोत्पादन के साथ-साथ अन्य आय जनित गतिविधियों को प्रारम्भ किया जाय। उन्होंने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा में भूमि सुधार के साथ लोगों को नई तकनीकी जानकारी भी दी गई। जिससे दोनों राज्यों ने कृषि उत्पादन में कीर्तिमान स्थापित किये। उ0प्र0, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में बीहड़ सुधार कार्यक्रम चलेगा। सचिव पशुधन डा0 हरिशरण दास ने कहा कि किसान की आय बढ़ाने में पशुपालन का भी बड़ा महत्व है। गॉव में लोगों को उत्तम पशु प्रबन्धन की तकनीक के बारे में सिखाना अत्यन्त आवश्यक है। उत्तम नश्ल, रोग नियन्त्रण तथा चारे की व्यवस्था में पशुपालन विभाग भूमि सुधार निगम को पूरा सहयोग करेगा।
प्रबन्ध निदेशक श्रीमती आराधना शुक्ला ने कहा कि इस पायलट प्रोजेक्ट की रणनीति बनाने के लिए यह कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक, विशेषज्ञ तथा किसान भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि के घटते क्षेत्र का विकल्प सघन कृषि तथा उत्पादकता बढ़ायी जाय या अकृषि भूमि को कृषि योग्य बनाया जाय। उन्होंने कहा कि 1993 में ऊसर सुधार की पहली परियोजना शुरू हुई थी। वर्ष 1999 में तीन गुना लक्ष्य बढ़ाकर दूसरी परियोजना शुरू हुई। इनसे 3.75 लाख परिवार आच्छादित हुए। इसके बाद भी इसकी आवश्यकता को देखते हुए विश्व बैंक ने तीसरी परियोजना को मंजूरी प्रदान की। उन्होंने कहा कि 25 जनपदों में लगभग 93 प्रतिशत लघु एवं सीमान्त कृषक लाभािन्वत होंगे बीहड़ सुधार में छिछली तथा मध्यम गहरी घाटियों को उपचारित किया जायेगा। अध्यक्ष भारतीय मृदा संरक्षण समिति डा0 सूरज भान ने कहा कि इस कार्यशाला से बीहड़ सुधार का एक ऐसा कार्यक्रम बनेगा जो सहभागिता पर आधारित खेती करने का एक माडल के रूप में कार्य करेगा।
इस अवसर पर विश्व बैंक के प्रतिनिधि डा0 अनुपम जोशी, पूर्व कृषि निदेशक श्री के0बी0सिंह, संयुक्त प्रबन्ध निदेशक श्री जे0पी0सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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