Posted on 19 October 2010 by admin
पंचायत चुनाव में लोगों ने इतना अधिक अकाशZण पैदा हो गया है कि पपारिवारिक सीमायें तो टूट ही रही है पति-पत्नी के खिलाफ दीवाल खड़ी हो गई है। वे एक -दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे है।
ऐसे ही दिलचस्प मामले मिर्जापुर जनपद के विस्तरीय पंचायत चुनाव में देखने को मिल रहे है। बड़े-बुजुर्गो का कहना है कि यहां असली लोकतन्त्र उतर आया है। पंचायत चुनाव में रिश्ते ही नहीं, सात जनम् के रिश्तों के विरूद्ध बगावत का बिगुल फूकने को विवश कर दिया है।
अहरौरा क्षेत्र के बेलखरा में विश्वकर्मा परिवार के दो भाई नन्द किशोर और राजनाथ प्रधानी के चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ उतर आये है। इतना ही नही नन्द किशोर की प्रवक्ता पत्नी अपनी पति देव से पल्ला झाड़ कर अपने दुलहवा देवर राजनाथ का प्रचार कर रही हैं। नन्द किशोर एक इण्टर कालेज में कर्मचारी है उसने स्वयं स्वीकार किया है कि उसकी पत्नी सुशीला विश्वकर्मा उसके विरोध में है। जबकि उसके बच्चे पिता के साथ में है। प्रधानी के चुनाव में पति के खिलाफ बगावत करने वाली श्रीमती विश्वकर्मा 2005 के पंचायती चुनाव में खुद अपनी देवरानी के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी हैं बेलखरा गॉव पंचायत में लगभग 2800 मतदाता है। जिसमें 25 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है।
इसी प्रकार राजगढ़ क्षेत्र के मदिहानी गांव में बचन अपनी पत्नी श्रीमती छोटी देवी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर आयी है जो क्षेत्र में चर्चा का विशय बना हुआ है। पति-पत्नी के इस चुनाव सभा मे सबसे दिलचस्प बात यह है कि दोनों सुबह भोजन करने के बाद साथ-साथ चुनाव प्रचार के लिये निकलते है और घर के बाहर अलग-अलग चुनाव प्रचार के लिये चले जाते है। पति-पत्नी के बीच चुनावी जंग चर्चा का विशय बनी हुई है।
मरिहानी गांव के बचन और उसकी पत्नी के चुनावी जंग में सबसे खासबात देखने लायक है कि वे चुनाव मैदान में तो अलग-अलग है किन्तु पारिवारिक पति-पत्नी के रिश्तों में कोई कड़वाहट नहीं है। दोनों चुनाव प्रचार से वापस आकर पति-पत्नी की तरह रहते है और अगले दिन सुबह फिर एक साथ घर से निकल कर अलग-अलग दोनों क्षेत्रों में चले जाते है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com
Posted on 05 October 2010 by admin
कहते है कि युवा यदि कुछ ठान ले तो उसे अन्जाम तक पहुचाने से कोई नही रोक सकता। और यदि युवाओं को बुजुर्गो, बुद्धजीवियों व प्रशासन का सहयोग हो तो सोने में सहागा ही कहा जा सकता है। ऐसे ही कुछ उत्साही युवकों ने मिर्जापुर के पर्यटन विकास का जिम्मा सम्हाला है उनका कहना है कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक प्रागोतिहासिक प्राकृतिक और साहसिक पर्यटन से भरपूर विन्ध्याचल क्षेत्र प्रचार-प्रसार के अभाव में अत्यन्त पिछड़ा है जिसे विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थान दिलाने उनका मुख्य उद्देश्य है।
20वीं शताब्दी के अन्तिम दशक में उत्तर प्रदेश से उत्तरांचल के अलग हो जाने के बाद नये-नये पर्यटन क्षेत्रों की तलाश शुरू की गई थी इसी में विन्ध्य सिर्कट मिर्जापुर की घोशणा की गई थी जिसमें मिर्जापुर सोनभद्र और चन्दौली जिलों के पर्यटन स्थानों को शामिल कर पर्यटन परिपथ बनाया जाना है। पर्यटन परिपथ की घोशणा तो सरकार द्वारा कर दी गई और कुछ थोड़ा बहुत विकास भी प्रारम्भ कर दिया गया किन्तु इसका प्रचार-प्रसार नगण्य ही रहा।
विन्ध्याचल पर्यटन परिपथ के प्रचार-प्रसार तथा नये-नये प्राकृतिक एवं प्रागैतिहासिक शैल चित्रों से भरपूर स्थानों की खोज पर इन युवकों ने अपना ध्यान केिन्द्रत किया है। इन्होंने अपने अभियान का नाम “मिशन ड्रीम मिर्जापुर´´ रखा है जिसके प्रमुख दीपक कपूर है। मिशन का संयोजन विक्रम सिंह द्वारा किया जा रहा है।
अभियान प्रमुख दीपक कपूर और संयोजक विक्रम सिंह द्वारा बताया गया कि ये मिशन ड्रीम मिर्जापुर यद्यपि जलाई 2007 से चला रहे है किन्तु अभी तक हमने बेस वर्क तैयार किया है अब हमने “मिर्जापुर एक दशZन´´ आधा घण्टे की डाकूमेन्ट्री फिल्म तैयार की है जिसमें यहा के पर्यटन महत्व को दशाZया गया हैं। फिल्म में क्रमबद्ध ढंग से उन्ही अलग-अलग विशयों को लिया गया है जो मिशन ड्रीम में किये गये है । इनमें सभ्यता और सास्कृति के अवशेश प्रागैतिहासिक शैल चित्र, किले और प्राचीन स्मारक मन्त्र मुग्ध कर देने वाले जल प्रपात वस्तु कला के बेजोड़ नमूने जंगली जीव जन्तु, लोक संस्कृति तथा इस क्षेत्र के देवी देवताओ को दशाZया गया है जिसमें मां विन्ध्यवासिनी की महिमा को प्रमुखता से दशाZया गया। इस प्राजेक्ट को दिसम्बर 2011 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर टीम प्रमुख दीपक कपूर ने प्रशासनिक अधिकारियों गणमान्य नागरिकों के समक्ष अपनी फिल्म का प्रदशZन व “मिशन ड्रीम मिर्जापुर´´ का खुलासा किया और सभी का सहयोग मांगा। वाराणसी क्षेत्र के क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी दिनेशकुमार ने अपने विभागीय सहयोग का आश्वासन दिया।
प्रधानों के आगे फीकी पड़ रही है महानगरों की चमक-दमक
बांदा। बुन्देलखण्ड के दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों से रोजी-रोटी की तलाश में महानगरों में रहने वाले ग्रामीणों को प्रधानी का मोह सताने लगा है। ग्राम प्रधान क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के ओहदेदार पदों के आगे अब उन्हेें महानगरों की चमक-दमक फीकी लगने लगी है इसीलिये अनेक लोग अपने बीबी, बच्चों केा लेकर गांव वापस आ रहे है और प्रधानी से लेकर क्षेत्र पंचायत सदस्य ग्राम पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य का पर्चा भर रहे है। जहां महिलाअों के लिये आरक्षित सीट है और वे स्वयं चुनाव नही लड़ सकते वहां अपनी -अपनी पित्नयों या अन्य रिश्तेदारों को चुनाव लड़ज्ञ रहे हैं।
बांदा जिले महुआ किवास खण्ड के अन्तर्गत पनगार सबसे बड़ी ग्राम पंचायत है जहां ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा हैं। पनगरा ग्राम पंचायत विभिन्न पदों के आरक्षण के अनुसार अनुसूचित जाति महिला के लिये आरक्षित है जिसमें गॉव मे स्थायी रहने वाले लोगों के अलावा कई ऐसे उम्मीदवार अपनी-अपनी पित्नयों को खड़ा किये है जो वशोZ से दिल्ली, पंजाब और सूरत में रोजी रोटी कमाने के लिये गये थे और वही बस गये।
पनगरा ग्राम पंचायत में पहले चरण में होने वाले चुनाव के लिये कुल 22 महिलायें प्रधान पद की उम्मीदवार है जिसमें सबसे अधिक 8 प्रत्याशी चमार बिरादरी क है, 6-6 प्रत्याशी कोरी और धोबी बिरादरी के तथा 2 प्रत्याशी वाल्मीक समाज के है। इनमें सबसे अधिक संघशZ कोरी विरादरी में है। दसियों साल से दिल्ली में सपरिवार रहने वाले रामेश्वर कोरी विरादरी के ही है जो चुनाव लड़ने के लिये बच्चों सहित आ गये है और प्रधान पद के लिये अपत्नी को उम्मीदवार बना दिया हैं। ओमप्रकाश उर्फ मुन्ना पनगरा के चलते पुर्जा और समाज में अच्छी पैठ रखने वाले बाकर का नाती है जो कानपुर, बम्बई, सूरत घूमता रहा है और चुनाव के आकशZण में गॉव आ गया है।
कोरी बिरादरी को ब्राहा्रण समाज का समर्थन मिलने के कारण नत्थू की पत्नी सुन्दी की स्थिति काफी सुदृढ़ दिखायी देती है जो `बाकर´ के छोटे भाई जमुना प्रसाद का लड़का है। अन्य उम्मीदवारों में िशवप्रसाद पुत्र रामटहलू (बाकर के बहिने के नाती) रामकिशुन बाकर के अन्य बहिन के लड़के के दमाद तथा कल्लू की पत्नी चुनाव मैदान में है ये सभी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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